4 जून के बाद से पीएम नरेंद्र मोदी की कुर्सी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष मोदी 3.0 को ‘बैसाखियों की सरकार’ कहकर आलोचना कर रहा है और यह दावा किया जा रहा है कि चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार कभी भी मोदी सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं। इस सरकार के कार्यकाल में कई बदलाव हुए हैं, जैसे कि जेपीसी को बिल भेजना और लैटरल एंट्री वाले विज्ञापन को वापस लेना, जो पहले की मोदी सरकारों में नहीं देखे गए थे।
अब पीएम मोदी की कुर्सी को लेकर एक बड़ा दावा किया जा रहा है। राजनीति और अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ, जिनकी भविष्यवाणियाँ अक्सर सही साबित होती हैं, इस पर चर्चा कर रहे हैं। बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा की है, जिसने अटकलों का बाजार गर्म कर दिया है।
स्वामी ने लिखा है कि अगर मोदी 17 सितंबर को अपने 75वें जन्मदिन के बाद आरएसएस प्रचारक के संस्कार के प्रति प्रतिबद्ध होकर मार्गदर्शक मंडल में जाने का ऐलान नहीं करते हैं, तो वे अन्य तरीकों से पीएम कुर्सी खो सकते हैं। ध्यान दें कि 17 सितंबर को पीएम मोदी का जन्मदिन है और वह 75 साल के हो जाएंगे।
सुब्रमण्यम स्वामी एक प्रभावशाली और विवादास्पद व्यक्तित्व हैं। उनकी राजनीति में ठहरने वाली दुश्मनी और दोस्ती की मिसालें प्रसिद्ध हैं। इतिहास गवाह है कि जब स्वामी किसी पर निशाना साधते हैं, तो वह उसे चैन से नहीं छोड़ते। वे मोदी 3.0 के गिरने का कोई मौका नहीं छोड़ते, और यह भी कहा जाता है कि उनके पास चाणक्य और नारद दोनों का ही गुण है।