चीन के साथ लद्दाख में देपसांग और डेमचोक पर चल रही तनाव की स्थिति लगभग समाप्त हो गई है। लंबी वार्ताओं के बाद दोनों देशों ने इस मुद्दे का समाधान निकाल लिया है, जिसके तहत दोनों स्थानों से भारत और चीन के सैनिक पीछे हटेंगे।
हालांकि, यह सोचना कि लद्दाख विवाद के समाधान के बाद भारत और चीन के बीच दोस्ती स्थापित हो गई है, एक बड़ी गलतफहमी होगी। भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने अपने बयान में इस मुद्दे की गंभीरता को स्पष्ट किया है। उन्होंने बताया कि भारत जानता है कि चीन कितना चालाक है, और वह उसकी चालों में नहीं फंसेगा।
डॉ. जयशंकर ने पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि चीन के साथ सफल समझौता बहुत ही अकल्पनीय था। यह एक चतुर कूटनीति का परिणाम था। उन्होंने बताया कि पीछे हटने का निर्णय एक समझौते का हिस्सा था, जिससे दोनों देशों के बीच गश्त करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भले ही एलएसी पर पैट्रोलिंग को लेकर विवाद सुलझ गया हो, लेकिन दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रहे मुद्दे अब भी बरकरार हैं। उन्होंने कहा, “हम उस स्तर तक पहुंचने में सफल रहे हैं जहां पीछे हटना पहला चरण है।”
हाल ही में रूस के कजान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात में तय हुआ कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और सुरक्षा सलाहकार मिलकर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को बनाए रखने के लिए दृढ़ता से प्रयास किए हैं और सेना ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। यह भारत की कूटनीति और सैन्य तत्परता का ही परिणाम है कि स्थिति को नियंत्रित किया गया है।
इस प्रकार, भले ही भारत-चीन सीमा पर तनाव कम हुआ हो, फिर भी दोनों देशों के संबंधों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है।