नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) – हिंदू धर्म में श्राद्ध और पिंडदान का बहुत महत्व है। श्राद्ध पक्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है। इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। मान्यता है कि मृत्यु के बाद जिन लोगों का श्राद्ध और पिंडदान नहीं किया जाता है, उनको दूसरे लोकों में काफी ज्यादा कष्ट और दुखों का सामना करना पड़ता है।
यही वजह है कि श्राद्ध पक्ष के दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है। श्राद्ध और पिंडदान से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों को दीर्घायु, वंशवृद्धि व अनेक प्रकार के आशीर्वाद देकर पितृलोक लौट जाते हैं। ज्यादातर पिंडदान और श्राद्ध पुरुषों द्वारा ही किया जाता है। ऐसे में लोगों के मन में सवाल आता है कि क्या महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं। तो चलिए जानते हैं महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं या नहीं…
इन हालात में महिलाएं भी करती हैं श्राद्ध और पिंडदान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जिस घर में पुत्र नहीं होते उस घर की महिलाएं श्राद्ध कर्म और पिंडदान कर सकती हैं। गरुड़ पुराण में भी इस बात का स्पष्ट उल्लेख है। गरुड़ पुराण के अनुसार जिस व्यक्ति का कोई पुत्र नहीं है तो ऐसी स्थिति में कन्याएं अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध और पिंडदान करती हैं।
प्रसन्न होते हैं पितृ
मान्यता है कि अगर कन्याएं श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध और पिंडदान करती हैं, तो पितर उसे स्वीकार कर लेते हैं और कन्या को आशीर्वाद देते हैं। कन्या के अलावा बहु या फिर पत्नी भी श्राद्ध और पिंडदान कर सकती हैं।
माता सीता ने किया था राजा दशरथ का पिंडदान
मान्यताओं के अनुसार माता सीता ने राजा दशरथ का पिंडदान किया था। वाल्मीकि रामायण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि वनवास के दौरान जब भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता का पितृपक्ष के समय गया में आगमन हुआ था। उस दौरान भगवान राम और लक्ष्मण श्राद्ध के लिए सामग्री लेने गए हुए थे और उन्हें सामग्री लाने में देर हो रही थी। इसी बीच माता सीता को राजा दशरथ के दर्शन हुए। राजा दशरथ ने माता सीता से पिंडदान की कामना की थी।
इसके बाद माता सीता ने वट वृक्ष, केतकी फूल और फल्गु नदी को साक्षी मानते हुए एक बालू का पिंड बनाया और उसके जरिए राजा दशरथ का पिंडदान किया। माता सीता द्वारा किए गए इस पिंडदान से राजा दशरथ प्रसन्न हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया।
महिलाएं पिंडदान करते समय इन बातों का रखें ध्यान
- श्राद्ध करते समय महिलाओं को सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए।
- धार्मिक मान्यता की मानें तो केवल विवाहित महिलाओं को ही श्राद्ध करना चाहिए।
- महिलाएं तर्पण करते समय ध्यान रखें कि वे कुश, जल और काले तिल डालकर तर्पण नहीं कर सकती।
- यदि श्राद्ध तिथि याद न हो तो नवमी को वृद्ध स्त्री-पुरुषों का तथा पंचमी को संतान का श्राद्ध करें।