भारत अनेक भाषाओं और लिपियों से समृद्ध देश है। यहां अनेकों भाषाएं बोली जाती हैं। लगभग सभी भाषाएँ, सनातनी देवभाषा, संस्कृत की आधारभूमि पर विकसित हैं। स्थान, स्थान और वातावरणीय प्रभाव से कुछ कुछ स्थानों पर लेखन लिपि भिन्न है।
देश में 122 प्रमुख तथा 1599 अन्य स्थानीय भाषाएं हैं जिनमें अधिकतर देवनागिरी लिपि में प्रयोग की जाती हैं। देश के अधिकांश भूभाग और विशालतम जनसंख्या द्वारा हिंदी भाषा का ही उपयोग किया जाता है। हिंदी अधिकतर भारतीयों की मातृभाषा है और सम्पूर्ण भारत की प्रमुख सम्पर्क सूत्र सम्प्रेषण माध्यम है।
प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित किए जाने के लिए अभियान
हिन्दी विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं के क्रम में, तीसरे स्थान पर आती है जो विश्व में लगभग 80 करोड़ लोगों द्वारा बोली और समझी जाती है। भारत में हिंदी को राष्ट्रभाषा का सम्मान नहीं प्राप्त है, लेकिन राजभाषा के तौर पर हिंदी की स्वीकृति है। भारत के साथ ही विदेशों में बसे भारतीयों को भी हिंदी भाषा ही एकजुट करती है।
हिन्दी भारतवर्ष की पहचान भी है और गौरव भी। हिंदी को लेकर दुनियाभर के तमाम देशों में बसे भारतीयों को एक सूत्र में बांधने के लिए हर वर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है।
इस कड़ी में पहला विश्व हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित हुआ था। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर का था, जिसमें ३० देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंदी का प्रसार-प्रचार करना और हिन्दी के विस्तृत वैश्विक स्वरूप को संज्ञान में लाना था। 2006 में इसको प्रतिवर्ष मनाने की आधिकारिक घोषणा हुई।तब से विश्व हिंदी दिवस इसी तिथि यानी 10 जनवरी को मनाया जाने लगा।
बाद में यूरोपीय देश नार्वे के भारतीय दूतावास ने पहली बार विश्व हिंदी दिवस मनाया था। अब तो लगभग सभी देशों में यह आयोजन होता है। तो आइए हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा घोषित कराने के प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के प्रयासों में सम्मिलित होकर, हिन्दी को विश्व स्तर पर प्रथम भाषा बनाने के पुण्य कार्य में संलग्न हों।