इस सप्ताह, भारतीय न्यायालयों में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं। आइए जानते हैं इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों की प्रमुख गतिविधियों के बारे में:
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में दोषियों की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने इसे पूरी तरह से गलत करार दिया। दोषियों ने सजा में दी गई छूट को रद्द करने के शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भोजशाला पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट के संबंध में उच्चतम न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक पर सुनवाई का आदेश दिया है। हिंदू संगठन ने इस मामले में कार्यवाही के लिए कोर्ट का रुख किया है। उच्चतम न्यायालय ने इस याचिका पर त्वरित निर्णय की आवश्यकता व्यक्त की है।
बंबई हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत आरक्षित दाखिले से छूट दी गई थी। कोर्ट ने इसे संविधान और बच्चों को निशुल्क शिक्षा के अधिकार के खिलाफ बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को निर्देश दिया है कि एनईईटी-यूजी के शहर और केंद्र-वार परिणाम शाम 5 बजे तक प्रकाशित करें। कोर्ट ने परीक्षा में गड़बड़ी के आरोपों पर ध्यान देने की बात कही और परिणाम की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 361 की समीक्षा पर सहमति दी है, जो राज्यपालों को आपराधिक मुकदमों से पूरी छूट प्रदान करता है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राजभवन की महिला कर्मचारी की याचिका पर नोटिस जारी किया है, जिसने राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
इन प्रमुख मामलों के अलावा, इस हफ्ते न्यायालयों में कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय और टिप्पणियाँ हुई हैं, जो आगामी दिनों में देश की कानूनी व्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।