हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। तमाम ओपिनियन पोल, ग्राउंड रिपोर्ट और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुमान बता रहे हैं कि कांग्रेस के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल नजर आ रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) तीसरी बार सत्ता में आने की पूरी तैयारी कर चुकी है। टिकट वितरण और नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और सभी उम्मीदवार मैदान में उतर चुके हैं। 5 अक्टूबर को हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा, जबकि 8 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे आएंगे।
कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती परिवारवाद है, जिसने पार्टी की संभावनाओं को कमजोर कर दिया है। जहां बीजेपी ने विकास और सुशासन के मुद्दों पर चुनावी रणनीति बनाई है, वहीं कांग्रेस परिवारवाद की सियासत में उलझी हुई है। टिकट वितरण के दौरान कांग्रेस में हुड्डा परिवार को अधिक तरजीह दी गई, जबकि दलित नेता कुमारी शैलजा और उनके समर्थकों को नजरअंदाज किया गया।
टिकट वितरण में हुड्डा गुट को बढ़त मिली। पहली सूची में घोषित 32 उम्मीदवारों में से 28 उम्मीदवार भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट से हैं। कुमारी शैलजा गुट को मात्र 4 टिकट मिले। यह असंतुलन कांग्रेस के अंदरूनी विवाद को और बढ़ाता है, जिससे पार्टी के चुनावी अभियान को नुकसान हो सकता है।
जहां कांग्रेस में परिवारवाद से जुड़े 22 सीटें बांटी गईं, वहीं बीजेपी में यह आंकड़ा 11 सीटों पर ही सीमित रहा। हालांकि, बीजेपी ने भी कुछ सीटों पर परिवारवाद को अपनाया है, जैसे कि अहीरवाल से सांसद राव इंद्रजीत की बेटी और आदमपुर से भव्य बिश्नोई को टिकट दिया गया है।
टिकट वितरण के बाद दोनों दलों में बगावत के सुर उठे थे। हालांकि, बीजेपी ने अपने बागियों को मनाने में सफलता पाई, जबकि कांग्रेस अभी भी अपने बागियों को शांत करने में असमर्थ है। इससे बीजेपी की चुनावी संभावनाओं को और बल मिला है।
चुनावी प्रक्रिया के दौरान बीजेपी की स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है। कांग्रेस जहां परिवारवाद और अंदरूनी कलह से जूझ रही है, वहीं बीजेपी ने बागियों को काबू में रखते हुए अपने अभियान को आगे बढ़ाया है। इन सब कारणों से हरियाणा में 2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी की प्रबल संभावना बनती दिख रही है।