नई दिल्ली(नेशनल थॉट्स)- भारत अलग-अलग धार्मिक मान्यताओं,और संस्कृति और सभ्यताओं से मिलकर तैयार किया हुआ गुलदस्ता है जिसमें आदिवासी समुदाय सबसे खूबसूरत फूल है। अलग तरह की वेशभूषा अलग तरह का खानपान महिलाओं को बराबरी का हक इस समुदाय को अलग बनाती हैं। लेकिन हाल के वर्षों में आदिवासियों के अधिकारों में कटौती उनके जल जमीन और जंगल पर कब्जा किया जा रहा है। समुदाय लगातार संघर्ष कर रहा है और उनकी इस लड़ाई में बीआरएस पूरी तरह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है।
केंद्र सरकार कभी अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस क्यों नहीं मनाती
आदिवासी समुदायों तथा संगठनों को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि बीआरएस और तेलंगाना की केसीआर सरकार पूरी तरह आदिवासी अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस पर अपने संबोधन में बीआरएस नेता व एमएलसी के कविता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी यूसीसी कानून लाकर उसके जरिए आदिवासियों और एससी समुदाय के अधिकार को समाप्त सीमित कर देना चाहते हैं लेकिन बीआरएस किसी भी हालत में ऐसा नहीं होने देगी वह अपने आदिवासी भाई बहनों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाती है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस नहीं मानती यह उसका दोहरा मापदंड हमारी समझ में नहीं आता। कानून बनाकर ग्राम सभा के भी अधिकार कम कर देना चाहती है।
केसीआर सरकार ने सबसे ज्यादा आदिवासी कल्याण के काम किए
श्रीमती कविता ने कहा कि तेलंगाना की केसीआर सरकार ने सबसे ज्यादा आदिवासी कल्याण के लिए काम किया है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक कर सरकार ने खूब काम किया है। आदिवासी फंड को उनके ही सशक्तिकरण के लिए इस्तेमाल किया है जंगल को बढ़ाने के लिए चार लाख पेड़ लगाए गए हैं। लाखों हेक्टेयर जमीन के पट्टे आदिवासियों को दिए गए हैं जिससे कि उनकी आजीविका चलाने में कोई परेशानी ना हो।