भारत में चुनावी व्यवस्था को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सरकार ने **वन नेशन वन इलेक्शन** (एक राष्ट्र, एक चुनाव) के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि शीतकालीन सत्र में सरकार इस विषय पर एक विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। यह पहल देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए की जा रही है।
इस मुद्दे पर सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति **रामनाथ कोविंद** की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी, जिसमें गृह मंत्री **अमित शाह** भी शामिल थे। अब इस समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। रिपोर्ट में एक साथ चुनाव कराने के फायदे और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की गई है।
प्रधानमंत्री **नरेंद्र मोदी** ने भी **स्वतंत्रता दिवस** के अपने भाषण में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव कराने से देश की प्रगति में बाधाएं आती हैं और संसाधनों का दुरुपयोग होता है। प्रधानमंत्री ने इस विचार को साकार करने के लिए सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया था कि वे इस मुद्दे पर मिलकर काम करें।
चर्चा यह है कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो 2029 तक पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की प्रक्रिया लागू हो सकती है। इससे चुनावी खर्चों में कमी आएगी और विकास कार्यों में तेजी आएगी।
हालांकि, विपक्षी दलों की ओर से इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ सकती हैं। कई दलों का मानना है कि इससे क्षेत्रीय पार्टियों को नुकसान हो सकता है। अब देखना होगा कि शीतकालीन सत्र में इस विधेयक को लेकर क्या स्थिति बनती है।