आज भौम प्रदोष व्रत है, जो भगवान शिव की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना जाता है। इस व्रत को करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इस व्रत का महत्व और पूजा विधि।
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत विशेषकर महिलाओं के लिए सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद लाता है। इस बार कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मंगलवार को रखा जाएगा, इसलिए इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा सूर्यास्त के बाद होती है और शुभ फलदायक मानी जाती है।
पंडितों के अनुसार, महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन की खुशहाली और वंश वृद्धि के लिए प्रदोष काल में दूध में केसर मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करें। साथ ही जौ के आटे की रोटियां बनाकर इसे गाय के बछड़े को खिलाएं। इस उपाय से घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है और परेशानियां दूर होती हैं।
इस व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इस वर्ष कार्तिक भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 की शाम 5:38 बजे से रात 8:13 बजे तक रहेगा।
व्रत के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान शिव का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल की सफाई करें और गंगाजल छिड़कें। इस व्रत में हनुमान जी की पूजा भी शुभ मानी जाती है। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, और घी से अभिषेक करें, फिर बेलपत्र और फूल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें और उन्हें बूंदी के लड्डू अर्पित करें। यह पूजा मंगल ग्रह के दोषों को भी दूर करने में सहायक मानी जाती है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और लाभकारी माना गया है। इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और वह रोगों व परेशानियों से मुक्त होता है। विशेषकर संतान प्राप्ति और ग्रह दोषों के निवारण के लिए यह व्रत अत्यंत लाभकारी माना गया है।
इस बार भौम प्रदोष व्रत पर पुष्कर योग, इंद्र योग, और वैधृति योग बन रहे हैं, जो इसे और भी शुभ बनाते हैं। साथ ही, उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र का संयोग व्रत के महत्व को और बढ़ाता है।
यह कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत है और मंगलवार को होने के कारण इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व है, जो व्यक्ति को भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति कराता है।