राज्यसभा में हंगामे के बीच जगदीप धनखड़ का सांसदों को संदेश: सार्थक संवाद की अपील
शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा की कार्यवाही लगातार स्थगित होने के बाद, उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सांसदों को समझाया। उन्होंने हंगामा करने और “सार्थक बातचीत का अवसर” चूकने पर सांसदों से निराशा जताई। विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सांसदों के हंगामे के बाद गुरुवार को कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। शुक्रवार को सदन की बैठक फिर से 11 बजे होगी।
सदन के रचनात्मक योगदान से चूकने का अफसोस
सदन में हंगामे के कारण रचनात्मक चर्चा से चूकने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह सदन केवल बहस का स्थान नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय भावना की गूंज है। उन्होंने कहा कि संसदीय व्यवधान समाधान का तरीका नहीं हो सकता, यह हमारी नींव को कमजोर करता है।
सांसदों से सार्थक संवाद की अपील
सांसदों से राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए संवाद में भाग लेने की अपील करते हुए, धनखड़ ने कहा, “हम इस प्रकार के आचरण में संलग्न होकर संवैधानिक नियमों से भटकते हैं।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यह उनका कर्तव्य है कि वे संविधान की भावना का सम्मान करें और सार्थक संवाद की दिशा में काम करें।
प्रमोद तिवारी के सवाल पर जवाब
कांग्रेस के सांसद प्रमोद तिवारी द्वारा अदाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग को लेकर पूछे गए सवाल पर, सभापति धनखड़ ने कहा कि किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए नियमों का पालन करना आवश्यक है। जब तिवारी ने प्रश्न उठाया कि अदाणी मुद्दे पर चर्चा क्यों नहीं हो रही है, तो जगदीप धनखड़ ने कहा कि उनकी कोई भी बात रिकार्ड में नहीं जाएगी।
जयराम रमेश से किया आग्रह
इसके बाद, जगदीप धनखड़ ने प्रमोद तिवारी से कहा कि यह बात आप जयराम रमेश जी को भी बताइए, जो उनके अच्छे दोस्त हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह सहमति देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है।
निष्कर्ष
सदन की कार्यवाही में उत्पन्न हंगामे पर सभापति का यह संदेश सांसदों को आत्ममंथन और नियमों के पालन की आवश्यकता का अहसास कराता है, ताकि संसदीय कार्यों में सार्थक योगदान दिया जा सके।