गांव में अपने बुजुर्ग पिता के अंतिम संस्कार के नहाने के बाद दोनों बेटे घर के बाहर आंगन में अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के साथ बैठे हुए थे कुछ लौट चुके थे और कुछ वहीं अबतक एकत्रित थे इतने में बड़े बेटे की पत्नी आई और उसने अपने पति के कान में कुछ कहा…
बड़े बेटे ने अपने छोटे भाई की तरफ देखकर अंदर आने का इशारा किया और खड़े होकर वहां बैठे लोगों से हाथ जोड़कर कहा अभी पांच मिनट में आते है। फिर दोनों भाई अंदर चले कमरे गए अंदर जाते ही बड़े भाई ने फुसफुसाकर छोटे से कहा बक्सा छुपा दिया था ना।
हां हमने छुपा दिया था चलिए अब चारों मिलकर जल्दी से देख लेते है नहीं तो कोई आसपास का हक जताने आ जाएगा और कहेगा कि तुम्हारे पीछे हमने तुम्हारे बाबूजी पर इतना खर्च किया वगैरह वगैरह क्यों देवर जी बड़ी बहु ने कुंटील हंसी हंसते हुए कहा, हां सही कहा भाभी आपने छोटे ने भी सहमति में गर्दन हिलाते हुए कहा तब तक छोटी तेजी से बाबूजी के कमरे में जाकर बक्सा निकाल लाई …
मैं दरवाजा बंद कर देती हूं बड़ी बहु तेजी दिखाते हुए बोली दोनों भाई तुरंत तेजी से नीचे झुके और छोटी बहू द्वारा लाये गये बक्से को खोलने लगे । अरे पहले चाबी तो दो वो ऐसे थोड़े ना खुलेगा मैंने आते ही ताला लगाकर चाबी छुपा ली थी बडी बहु ने अपने पल्लू में एक छोर पर बंधी हुई चाबी निकाली और अपने पति को पकड़ा दी बड़े भाई ने जैसे ही बक्सा खोला तो वहां मौजूद चारों ने बक्से में झांकते हुए उसमें छुपी हुई दौलत गहने देखने की उत्सुकता दिखाई ।
बक्से में बड़े और छोटे की पुरानी तस्वीरें कुछ बर्तन कुछ उन्हीं दोनों के छोटे छोटे कपड़े सहेज कर रखें हुए थे चारों को विश्वास नहीं हो रहा था कि कोई ये सब भी भला सहेजकर रखता है उन्हें उम्मीद थी बाबूजी यहां गांव में उनकी स्वर्गीय सासू मां के गहने रुपये इत्यादि संभालकर रखें हुए हैं लेकिन यहां तो चारों के चेहरे निराशा से भरे हुए थे की तभी बड़े भाई ने कहा मुझे तो पूरा विश्वास था कि बाबूजी ने कभी अपनी दवाओं तक के रुपये नहीं लिये तो उनकी बचत के रुपये और मां के गहने इसी बक्से में रखे होंगे लेकिन इसमें तो …
तभी छोटे भाई की नजर बक्से के कोने में कपड़ों के बीच में एक कपड़े की थैली पर गयी उसने तुरंत आगे बढ़कर उस थैली को बाहर निकाला ये देखकर सबकी नजरों में अचानक चमक आ गई सभी ने लालची नजरों से उस थैली को टटोला उसमें कुछ रुपये थे और साथ में एक कागज जिसपर कुछ लिखा हुआ था छोटे भाई ने रुपये गिने तो लगभग बीस हजार रुपए थे । बस और कुछ नहीं है ।
अरे कागज पढ़ो जरूर किसी बैंक अकाउंट या लाकर का होगा …बड़ी बहु ने कहा तो बड़े बेटे ने तुरंत छोटे के हाथों से उस कागज को छीनकर पढ़ा,जिसपर लिखा हुआ था । क्या ढूंढ रहे हो? संपत्ति , हां ये ही है मेरी और तुम्हारी मां की संपत्ति तुम्हारी बचपन की वो यादें जिसमें तुम शामिल थे वो पल वो खुशबू वो प्यार वो अनमोल पल आज भी इन कपड़ों में इन तस्वीरों में इन छोटे छोटे बर्तनों में मौजूद हैं यही है हमारी अनमोल दौलत।
तुम तो हमें यहां अकेले छोड़ कर चले गए अपने भविष्य के लिए मगर हम यहां तुम्हारी यादों के सहारे ही तुम्हारी मां तुम्हारे देखने को तरसते हुए और शायद में भी अब तक तुमसे कोई पैसा नहीं लिया अपनी पेंशन से ही मगर तुम लोगों को हमेशा इस बक्से में अनमोल दौलत है
जानबूझकर सुनाता रहा मगर बच्चों ध्यान देना अपने बच्चों को कभी अपने से दूर मत करना वरना जैसे तुमने अपने भविष्य का हवाला देकर खुद को हमसे दूर किया वैसे ही बच्चों दुनिया का सबसे बड़ा दुख जानते हो क्या होता है अपनों के होते हुए भी किसी अपने का पास नहीं होना जीवन में उस समय कोई दौलत गहने संपति काम नहीं आते । बच्चों में मरने के बाद भी तुम पे बोझ नहीं बनना चाहता इसलिए ये पैसे मेरे अंतिम संस्कार का खर्च है । पूरा कागज पढ़ते ही बड़े बेटे के साथ साथ छोटा बेटा भी फूट फूट कर रो पड़ा।
सीख – जीवन में हमेशा अपने माता पिता की सेवा करें क्योंकि जैसा आप अपने माता पिता के साथ करेंगे आपके बच्चे भी आपके साथ वैसा ही करेंगे ।