नई दिल्ली , ( नेशनल थोट्स )असम, 24 फरवरी 2024: असम सरकार ने शुक्रवार को असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम (1935) को रद्द कर दिया। यह कदम समान नागरिक संहिता (UCC) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। इस अधिनियम में विवाह पंजीकरण की अनुमति देने वाले प्रावधान शामिल थे, भले ही दूल्हा और दुल्हन 18 और 21 वर्ष की कानूनी उम्र तक नहीं पहुंचे हों।
सरकार का कहना है कि यह कदम असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एआईयूडीएफ विधायक डॉ. हाफिज रफीकुल इस्लाम ने भाजपा सरकार के नवीनतम कदम की आलोचना की। उन्होंने कहा, “इस सरकार में यूसीसी लाने की हिम्मत नहीं है। वे उत्तराखंड में जो लाए, वह यूसीसी भी नहीं है… चुनाव आ रहे हैं, यह है सिर्फ मुसलमानों को निशाना बनाने की उनकी रणनीति।”
राज्य के कैबिनेट मंत्री ने बताया कि सरकार के नवीनतम कदम का व्यापक प्रभाव होगा, खासकर बाल विवाह पर रोक लगाने पर। मंत्री ने कहा, “प्रशासन इस अधिनियम को निरस्त करके बाल विवाह के मुद्दे को संबोधित करना चाहता है, जिसे महिलाओं के लिए 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के मिलन के रूप में परिभाषित किया गया है।”
- समान नागरिक संहिता (UCC) एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों के लिए समान होगा, चाहे उनकी जाति, धर्म या लिंग कुछ भी हो।
- UCC भारत में एक विवादास्पद मुद्दा है, कुछ लोग इसका समर्थन करते हैं तो कुछ लोग इसका विरोध करते हैं।