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आतिशी ने पहले संभाले सिसोदिया के विभाग, अब लेंगी CM केजरीवाल की कुर्सी?”

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दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी को आम आदमी पार्टी (AAP) का नया चेहरा बनाया जा रहा है। पार्टी की विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने खुद उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी ने समर्थन दिया। आतिशी का मुख्यमंत्री पद के लिए नाम सामने आना कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी उनका नाम इस पद के लिए चर्चा में आ चुका है।

आपको याद होगा कि जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे, तब 15 अगस्त के अवसर पर तिरंगा फहराने के लिए उन्होंने उपराज्यपाल को आतिशी का नाम प्रस्तावित किया था। हालांकि, तकनीकी कारणों से उस समय कैलाश गहलोत ने तिरंगा फहराया था।

आतिशी विधायक बनने से पहले दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्रालय में सलाहकार के रूप में काम कर रही थीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पूर्वी दिल्ली से चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के गौतम गंभीर से हार गईं। इसके बाद, 2020 में उन्होंने कालकाजी से विधानसभा चुनाव जीता। जब मनीष सिसोदिया आबकारी नीति घोटाले में जेल गए, तो आतिशी को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया। उस वक्त मनीष सिसोदिया के 18 विभाग आतिशी को सौंपे गए थे, जिसमें उनका उपमुख्यमंत्री वाला बंगला भी शामिल था।

मंत्री बनने के बाद आतिशी ने अपने विभागों में काफी सक्रियता दिखाई और विभिन्न मंचों पर पार्टी का पक्ष प्रखरता से रखा। हालांकि, जल मंत्री के रूप में उनके प्रदर्शन पर सवाल उठे। इसके बावजूद, अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद के लिए आतिशी को चुनकर यह साबित कर दिया है कि वह पार्टी की सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद नेता हैं।

आम आदमी पार्टी का यह कदम 1998 में भाजपा द्वारा उठाए गए कदम से मिलता-जुलता है, जब भाजपा ने साहिब सिंह वर्मा को हटाकर सुषमा स्वराज को चुनाव से तीन महीने पहले दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि, भाजपा इस रणनीति से चुनाव नहीं जीत सकी थी और तब से दिल्ली की सत्ता में नहीं लौट पाई। अब देखना यह होगा कि AAP का यह फैसला चुनावों में कितना फायदेमंद साबित होता है।

आतिशी का मुख्यमंत्री बनना आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा कदम है। पार्टी को उम्मीद है कि इस बदलाव से वह आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आतिशी अपने नेतृत्व में पार्टी को नई दिशा में कैसे ले जाती हैं।

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