1. राम लला के शीष पर मुकुट या किरीट
न्यास ने बताया कि रामलला के शीश पर विराजित मुकुट या किरीट उत्तर भारतीय परम्परा में स्वर्ण निर्मित है। इसमें माणिक्य, पन्ना और हीरों से अलंकरण किया गया है। मुकुट के ठीक मध्य में भगवान सूर्य अंकित हैं। मुकुट के दायीं ओर मोतियों की लड़ियां पिरोई गयी हैं।
2. कुण्डल
मुकुट या किरीट की तरह ही भगवान के कर्ण-आभूषण बनाये गये हैं। इनमें मयूर आकृतियां बनी हैं। राम लला के कुण्डल सोने, हीरे, माणिक्य और पन्ने से सुशोभित हैं।
3. कण्ठा
राम लला के गले में अर्द्धचन्द्राकार रत्नों से जड़ित कण्ठा सुशोभित है। इसमें मंगल का विधान रचते पुष्प अर्पित हैं। बीच में सूर्य देव बनाए गए हैं। सोने से बना हुआ कण्ठा हीरे, माणिक्य और पन्नों से जड़ा है। कण्ठे के नीचे पन्ने की लड़ियां लगाई गयी हैं।
यह दिव्य आभूषण भगवान श्रीराम के हृदय में धारण कराया गया है। इस दुर्लभ आभूषण को बड़े माणिक्य और हीरों के अलंकरण से सजाया गया है। यह शास्त्र-विधान है कि भगवान विष्णु और उनके अवतार हृदय में कौस्तुभमणि धारण करते हैं। इसलिए इसे धारण कराया गया है।5. पदिक
कण्ठ से नीचे तथा नाभिकमल से ऊपर पहनाए गए आभूषण को पदिक कहा जाता है। विद्वानों की राय में देवताओं के शृंगार और अलंकरण में इसका विशेष महत्त्व होता है। रामलला ने जो पदिक पांच लड़ियों वाला हीरे और पन्ने से जड़ित पंचलड़ा या पदिक धारण किया है, इसके नीचे एक बड़ा सा अलंकृत पेण्डेंट भी लगाया गया है।6. वैजयन्ती या विजयमाल
भगवान श्रीराम के बालस्वरूप को वैजयन्ती या विजयमाल से भी सजाया गया है। यह स्वर्ण निर्मित हार भगवान को पहनाया जाने वाला तीसरा और सबसे लम्बा है। इसमें कहीं-कहीं माणिक्य लगाये गये हैं। इसे विजय के प्रतीक के रूप में पहनाया जाता है। इसमें वैष्णव परम्परा के समस्त मंगल-चिह्न- सुदर्शन चक्र, पद्मपुष्प, शंख और मंगल-कलश दर्शाया गया है। इसमें पांच प्रकार के देवता को प्रिय पुष्पों का भी अलंकरण किया गया है। पांच फूलों में- कमल, चम्पा, पारिजात, कुन्द और तुलसी हैं।
भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को कमर में करधनी धारण करायी गयी है। इस रत्नजडित करधनी को सोने से तैयार किया गया है। इसमें प्राकृतिक सुषमा का अंकन है। हीरे, माणिक्य, मोतियों और पन्ने से अलंकृत इस आभूषण से पवित्रता का बोध होता है। छोटी-छोटी पांच घण्टियां भी इसमें लगाई गई हैं। इन घण्टियों से मोती, माणिक्य और पन्ने की लड़ियों भी लटक रही हैं।8. भुजबन्ध या अंगद
आजानुबाहु कहे जाने वाले प्रभु श्रीराम के हाथ घुटने तक लंबे हैं। बाल स्वरूप भगवान की दोनों भुजाओं में स्वर्ण और रत्नों से जड़ित दिव्य भुजबन्ध पहनाये गए हैं।9. कंकण / कंगन
प्रभु श्रीराम के दोनों ही हाथों में रत्नजडित सुन्दर कंगन पहनाये गए हैं।10. मुद्रिका
प्रभु श्रीम राम के बाएं और दाएं दोनों हाथों की मुद्रिकाएं (अंगूठी) रत्नजडित हैं। दोनों सुशोभित मुद्रिकाओं से मोतियां भी लटक रही हैं।
रामलला के चरणों में छड़ा और पैजनियां पहनाये गये हैं। साथ ही स्वर्ण की पैजनियां भी पहनाई गई है।12. भगवान के बाएं हाथ
रामलला के बाएं हाथ में स्वर्ण धनुष है। इनमें मोती, माणिक्य और पन्ने की लटकनें लगी हैं। इसी तरह दाहिने हाथ में स्वर्ण बाण धारण कराया गया है।13. भगवान के गले में
प्रभु श्रीराम के इस अलौकिक स्वरूप में रंग-बिरंगे फूलों की आकृतियों वाली वनमाला धारण करायी गयी है। इसका निर्माण हस्तशिल्प के लिए समर्पित संस्था- शिल्पी मंजरी ने किया है।14. भगवान के मस्तक पर
प्रभु श्रीराम के मस्तक पर पारम्परिक मंगल-तिलक देखा जा सकता है। हीरे और माणिक्य से रचे तिलक से इनका स्वरूप और अलौकिक हो गया है।
15. भगवान के चरणों के नीचे
प्रभु श्रीराम के चरणों के नीचे कमल सुसज्जित है। इसके नीचे एक स्वर्णमाला सजाई गई है। इसके अलावा भगवान के प्रभा-मण्डल के ऊपर स्वर्ण का छत्र लगा है।
16. बालस्वरूप राम लला के लिए चांदी के खिलौने
न्यास ने बताया कि अयोध्या के राम मंदिर में पांच वर्ष के बालक-रूप में श्रीरामलला विराजे हैं, इसलिए पारम्परिक ढंग से उनके सम्मुख खेलने के लिए चांदी से निर्मित खिलौने भी रखे गये हैं। खिलौनों में झुनझुना, हाथी, घोड़ा, ऊंट, खिलौनागाड़ी और लट्टू शामिल हैं।