You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

Ram Mandir: पहली बार यहां हुई भगवान श्रीराम और रावण की अद्वितीय प्राण प्रतिष्ठा

Share This Post

नई दिल्ली,(नेशनल थॉट्स ) : अयोध्या में राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही, सोमवार को ही ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख स्थित शिव मंदिर में भी वैदिक मंत्रों के साथ भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की गई। बिसरख के प्राचीन शिव मंदिर में पहली बार भगवान श्रीराम परिवार के साथ विराजमान हो गए हैं, जो रावण की जन्मस्थली के रूप में मशहूर है।
 

इस समय तक, इस मंदिर में शिवलिंग था, और लोग इसे रावण मंदिर के नाम से जानते थे। इस दौरान, गांव में पूरा माहौल राममय था, और राम नाम का समर्थन बच्चों, महिलाओं और लोगों की जुबानों पर था। हालांकि, कुछ वर्षों पहले ही शिव मंदिर के पास ही रावण मंदिर का निर्माण भी किया गया है, जिसमें रावण की प्रतिमा स्थापना की गई है।

मंदिर परिसर में सुबह से ही जय श्रीराम के जयकारों के बीच, भक्तों ने राममूर्ति स्थापना से पहले गांव के सभी गलियारों से शोभायात्रा निकाली। डीजे बज रहे भजनों पर युवा और महिलाएं भी थिरकने से रोक न सकीं। बच्चों, महिलाओं और युवाओं ने हाथों में भगवा झंडा लिए जय श्रीराम के जयघोष से वातावरण को राममय बना दिया।

लोगों ने घरों के छतों से रामभक्तों की भीड़ पर फूल बरसाएं। अयोध्या में रामलला की मूर्ति की स्थापना के दौरान ही, मंदिर परिसर में श्री राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों की भी स्थापना हुई। राम परिवार की स्थापना के बाद, प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर आसपास की सोसायटियों से भी रामभक्त प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।


प्राचीन शिवमंदिर की दीवार पर बनी हैं रावण की प्रतिमा
बिसरख गांव में प्राचीन शिव मंदिर की बाहरी दीवारों पर सीमेंट से रावण व उनके परिवार की बड़ी प्रतिमाएं भी बनी हैं। मंदिर के अंदर प्राचीन शिवलिंग है जो बाहर से ही दिखाई देता है। दूर से दूर से लोग आज भी इस मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं।

शिव मंदिर में शिवलिंग का नहीं पाया कोई आकार, चंद्रा स्वामी ने कराई थी खुदाई
ग्रामीण बताते हैं कि जब विश्रवा पंडित के द्वारा शिवलिंग स्थापित करने की बात राजनेता चंद्रा स्वामी के समक्ष आई तो वह पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के साथ पहुंचे और शिवलिंग की खुदाई कराई। मगर करीब 100 फीट खुदाई करने के बाद भी कोई ओर-छोर नहीं मिला था। थक-हारकर खुदाई बंद कर गी गई थी।
यह है मान्यता…

बिसरख गांव के लोगों का मानना है कि रावण का नाता बिसरख गांव से माना जाता है। रावण के पिता ऋषि विश्रवा की बिसरख तपोस्थली हुआ करती थी। रावण के जन्म के लिए उन्होंने इसी जगह पर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। रावण के जन्म के बाद वह भी यहां आकर पूजा-अर्चना करते थे।

इसलिए बोलचाल की भाषा में लोग अकसर इस मंदिर को रावण का मंदिर भी कह देते थे। मान्यता तो यह भी है कि बिसरख गांव का नाम भी रावण के पिता विश्रवा पंडित के नाम पर रखा गया था। जिस वजह से लंबे समय तक इस गांव में दशहरा नहीं मनाया गया। हालांकि ग्रामीणों ने कुछ साल पहले गांव में दशहरा मनाना भी शुरू कर दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *