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Child Welfare and Protection Committee will identify eligible children for help in difficult situations

बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति कठिन परिस्थितियों में सहायता के लिए पात्र बच्चों की करेगी पहचान

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नई दिल्ली(नेशनल थॉट्स)- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मिशन वात्सल्य योजना देश में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्य और स्थानीय सरकारों के नेटवर्क के माध्यम से एक मजबूत इको सिस्टम की कल्पना की है। मौजूदा योजना दिशानिर्देशों, स्थानीय निकायों की स्थायी/उप-समिति प्रणाली के तहत, बाल कल्याण और संरक्षण मुद्दों का कार्य शहरी स्थानीय निकाय/पंचायती राज संस्थान/ग्राम पंचायत की मौजूदा समिति को सौंपा जा सकता है, जो महिलाओं और बच्चों के लिए सामाजिक न्याय/कल्याण के मुद्दों से निपटती है। 

मिशन वात्सल्य योजना के तहत बच्चों को मिलेंगी सुविधाएं

इस भावना में ग्राम स्तर पर बाल कल्याण और संरक्षण समिति (सीडब्ल्यू एंड पीसी) उन बच्चों की पहचान करेगी, जो कठिन परिस्थितियों, अनाथों, सड़क पर रहने वाले बच्चों आदि के लिए सहायता के पात्र हैं। इन बच्चों को मिशन वात्सल्य योजना के तहत सुविधा प्रदान की जाएगी। इन बच्चों को सीडब्ल्यूसी की सिफारिश के अनुसार और पालक देखभाल अनुमोदन समिति (एसएफसीएसी) द्वारा मंजूर प्रायोजित सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। तदनुसार राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों से पात्र बच्चों के लिए प्रायोजित सुविधाएं बढ़ाने का अनुरोध किया जाएगा।

मिशन गैर-संस्थागत किन तरीकों से बच्चों को करेगा सहयोग

  1. प्रायोजन: विस्तारित परिवारों/गोद लेने वाले रिश्तेदारों के साथ रहने वाले कमजोर बच्चों को उनकी शिक्षा, पोषण और स्वास्थ्य आवश्यकताओं के समर्थन के लिए वित्तीय सहायता दी जा सकती है।
  2. पालक देखभाल: बच्चे की देखभाल, सुरक्षा और पुनर्वास की जिम्मेदारी एक असंबंधित परिवार द्वारा ली जाती है। बच्चे के पालन-पोषण के लिए गोद लेने वाले गैर रिश्तेदार पालक माता-पिता को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
  3. दत्तक ग्रहण: गोद लेने के लिए कानूनी रूप से स्वतंत्र पाए गए बच्चों के लिए परिवार ढूंढना। केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) दत्तक ग्रहण कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करेगा।
  4. देखभाल के बाद: जो बच्चे 18 वर्ष की आयु पूरी करने पर बाल देखभाल संस्थान छोड़ रहे हैं, उन्हें समाज की मुख्यधारा में फिर से शामिल करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा सकती है। उसे आत्मनिर्भर बनने में मदद करने के लिए इस तरह का समर्थन 18 वर्ष से 21 वर्ष की आयु तक दिया जा सकता है, जिसे 23 वर्ष की आयु तक बढ़ाया जा सकता है।

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