नई दिल्ली, (नेशनल थॉट्स )- भारत की प्राचीन समुद्री विरासत को पुनर्जीवित करने के मकसद से गोवा में ‘स्टिच्ड शिप’ बनाने के लिए महत्वपूर्ण कील बिछाने का समारोह हुआ। इस अनूठी पहल के तहत लकड़ी के तख्तों के माध्यम से जहाजों को एक साथ सिलने की 2000 साल पुरानी भारतीय तकनीक पुनर्जीवित होगी। यह उन जहाजों की याद दिलाएंगे, जो कभी भारत को दुनिया से जोड़ने वाले प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर महासागरों में चलते थे।
‘सिले हुए जहाज’ का डिजाइन और निर्माण करना
होदी इनोवेशन, गोवा में नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल की उपस्थिति में संस्कृति और विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी ने प्राचीन सिले हुए जहाज की नींव रखी। प्राचीन सिले हुए जहाज का पुनर्निर्माण एक बहु-मंत्रालयी परियोजना है, जिसके डिजाइन और निर्माण की देखरेख भारतीय नौसेना के पास है और संस्कृति मंत्रालय ने इसे वित्त पोषित किया है। इस परियोजना का उद्देश्य एक ‘सिले हुए जहाज’ का डिजाइन और निर्माण करना है, जो एक प्रकार की लकड़ी की नाव होती है, जो तख्तों को डोरियों और रस्सियों के साथ सिलकर बनाई जाती है।
पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने का उद्देश्य
विदेश राज्यमंत्री ने कहा कि समुद्री जहाजों के निर्माण के लिए प्राचीन भारत में यह लोकप्रिय तकनीक थी। इस परियोजना में जहाज निर्माण की इस पारंपरिक कला को पुनर्जीवित एवं संरक्षित करने और भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने की परिकल्पना की गई है। जहाज का निर्माण पूरा होने पर भारतीय नौसेना ने 2025 में प्राचीन नेविगेशन तकनीकों का उपयोग करते हुए पारंपरिक मार्गों में से एक के साथ दक्षिण पूर्व एशिया में फारस की खाड़ी की यात्रा निर्धारित की है।