प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रायोजित, मंजिल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम) के राष्ट्रीय ग्रामीण साहित्य महोत्सव में प्रेहिप्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप मिश्र “अजनबी” ने आयोजन में प्रतिभाग लिया और बताया कि महोत्सव मेंप्रतिभासंपन्न श्रेष्ठ साहित्यकारों को लालबहादुर शास्त्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के अंतर्गत प्रभात फेरी स्कूली बच्चों द्वारा एकांकी सहभागी विद्वत जनों द्वारा दहेज प्रथा उन्मूलन से सम्बंधित एकाकी प्रस्तुत किया गया जो सम्पूर्ण समाज को दिशा दृष्टि दृष्टिकोण प्रदान करने में सक्षम सफल हुआ। कार्क्रम में जिन सहभागी छः साहित्यकारों को लालबहादुर शास्त्री की जन्मभूमि पर लालबहादुर शास्त्री सम्मान से अलंकृति किया गया।
संयोजक सुधीरसिंह सुधाकर ने बताया कि राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर साहित्य की लौ प्रज्वलित रखनेवाली संस्था *मगसम* विश्व- स्तर पर साहित्यकारों की रचनाओं की समीक्षा सभी पटलों पर करके रचनाओं की श्रेष्ठता/ दुर्बलता के आधार पर उन्हें ग्रीन , यलो अथवा रेड कार्ड प्रदान करती है । देश के विभिन्न अँचलों के जिन 06 रचनाकारों को यह सम्मान प्रदान किया गया उनके नाम श्री नंदलाल मणि त्रिपाठी, श्री मदनमोहन शर्मा ‘सजल’, श्री रविकान्त सनाढ्य, श्रीमती सीमा गर्ग ‘मंजरी’, श्रीमती निर्मला कर्ण तथा श्री नरेन्द्र वर्मा ‘नरेन ‘।
इसके साथ ही साहित्यसेवा करने में अग्रणी तीन संस्थाओं के प्रमुखों को भी सम्मान से नवाज़ा गया जिनमें गीता- *श्री साहित्य- भारती* संस्था के प्रमुख श्री राजनारायण कैमी को द्वितीय रहने पर सम्मान मिला। ‘लेख्यमंजूषा’ संस्था को तृतीय रहने पर संस्था -प्रमुख श्रीमती विभारानी श्रीवास्तव को सम्मान मिला । प्रथम स्थान पानेवाली ‘ ‘शब्द- निष्ठा’ संस्था के प्रमुख डॉ. अखिलेश पालरिया सम्मान ग्रहण करने हेतु आ नहीं पाए।
5 मार्च से 13 मार्च तक ग्राम रेवसा, माटीगाँव, पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर, चंदौली में, देश के यशस्वी प्रधान मंत्री, स्व.श्री लालबहादुर शास्त्री के जन्मभूमि क्षेत्र में आयोजित समग्र साहित्य ग्रामीण महोत्सव में प्रतिष्ठित 6 साहित्यकारों को *लालबहादुर शास्त्री सम्मान* से अलंकरण के अतिरिक्त अनेकों वरिष्ठ एवं नवांकुर साहित्यकारों को उनकी साहित्य साधना के लिए “मंज़िल ग्रुप साहित्यिक मंच (मगसम)” द्वारा सम्मानित किया गया।
इसी के साथ-साथ हिन्दी भाषा साहित्य के लिए उल्लेखनीय कार्य करने वाली संस्थाओं को भी सम्मानित किया गया।
महोत्सव की प्रमुख विशेषता थी क्षेत्र की वरिष्ठतम महिला श्रीमती दिल्ला(बूआ जी)’ को आयोजन का पूर्णकालिक अध्यक्ष बनाना। बूआ जी भी प्रतिदिन देर रात कार्यक्रम की समाप्ति तक अध्यक्षीय आसन पर विराजमान रहती थीं।
9 दिन तक अनवरत चले मगसम के राष्ट्रीय ग्रामीण साहित्य महोत्सव में देश के 69 जाने माने साहित्यकारों के अतिरिक्त ग्रामीण अंचल के अनेक वरिष्ठ, युवा एवं बाल साहित्यकारों तथा कलाकारों ने भाग लिया। साहित्यकारों को विभिन्न पदक , सम्मानपत्र , स्मृतिचिह्न , अंगवस्त्र और साफ़ा पहनाकर सम्मानित किया गया ।
राष्ट्रीय संयोजक श्री सुधीर सिंह सुधाकर ने बताया कि अधिवेशन में साहित्यिक विमर्श के अलावा कवि सम्मेलन तथा ग्रामीण चेतना विषयक कार्यक्रम, एकांकी, प्रभात फेरी और साहित्यिक जनसम्पर्क के माध्यम से हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के कार्यक्रम संपन्न हुए।
महोत्सव में मगसम के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी साहित्यकार उपस्थित रहे।
श्री मदन मोहन शर्मा सजल, श्री प्रदीप मिश्र अजनबी”, श्री कर्मेश सिन्हा, श्री रविकांत सनाढ्य, श्री रमेश चंद द्विवेदी, श्रीमती विभा श्रीवास्तव, श्रीमती सरला विजय सिंह सरल, श्री नन्द लाल मणि त्रिपाठी, श्री गिरीश चंद्र ओझा के साथ श्री नरेन्द्र त्यागी नीर, श्रीमती सीमा गर्ग मंजरी, डॉ. वत्सला आदि के साथ प्रेहिप्रसभा की हरित प्रदेश प्रभारी श्रीमती सीमा शर्मा मंजरी और बड़ी संख्या में क्षेत्र के विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।
बूआ जी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से गाँव गाँव में लगातार होने चाहिएं।
आयोजन समिति के स्थानीय सदस्य श्री पारस नाथ सिंह, श्री जनार्दन सिंह एवं श्रीमती बिन्दु सिंह( भाभी जी) आदि का व्यवस्था प्रबन्धन सराहनीय रहा।
मगसम के जी बी पदाधिकारी और प्रेहिप्रसभा के राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप मिश्र “अजनबी” ने प्रेहिप्रसभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी, मुख्य प्रेरणा स्रोत डाॅ. धर्म प्रकाश वाजपेई और राष्ट्रीय सलाहकार श्री गुंडाल विजय कुमार की ओर से आयोजन के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर बधाई और शुभकामना संदेश प्रस्तुत किया।