1. इस मिशन से भारत को क्या हासिल होगा
ISRO के एक्स साइंटिस्ट मनीष पुरोहित कहते हैं कि इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को बताना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने की काबिलियत है। इससे दुनिया का भारत पर भरोसा बढ़ेगा जो कॉमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद करेगा।
2. साउथ पोल पर ही मिशन क्यों भेजा गया?
चंद्रमा के पोलर रीजन दूसरे रीजन्स से काफी अलग हैं। यहां कई हिस्से ऐसे हैं जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती और तापमान -200 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक चला जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां बर्फ के फॉर्म में अभी भी पानी मौजूद हो सकता है। भारत के 2008 के चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का संकेत दिया था
3. दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज इस मिशन का लक्ष्य
चंद्रयान-3 का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की खोज है। यहां पानी की मौजूदगी बर्फ के रूप में हो सकती है। चंद्रयान-1 मिशन में इस बात का संकेत मिला था। यहां मिली बर्फ भविष्य के चंद्रमा मिशनों और चंद्रमा कॉलोनी के लिए ऑक्सीजन, ईंधन और पानी की सोर्स हो सकती है।