वक्फ संशोधन विधेयक पर ममता बनर्जी का निशाना
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ संशोधन विधेयक को देश के संघीय ढांचे पर हमला करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के अधिकारों को छीनने के लिए लाया गया है। ममता ने केंद्र पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस विधेयक पर राज्यों से कोई सलाह नहीं ली गई और यह पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से लाया गया है।
मुसलमानों के अधिकारों पर खतरा
ममता बनर्जी ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग कल्याणकारी और विकासात्मक कार्यों जैसे स्कूल स्थापित करने, घर बनाने और छात्रवृत्ति देने के लिए होता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह विधेयक मुसलमानों के अधिकारों को छीनने का प्रयास है। ममता ने स्पष्ट किया कि वह इस विधेयक का समर्थन नहीं करेंगी और इसका कड़ा विरोध करेंगी।
विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के तर्क
विपक्ष का आरोप: विपक्षी दलों ने विधेयक को मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन समुदाय की स्वतंत्रता और अधिकारों को कमजोर करेगा।
भाजपा का पक्ष: सत्तारूढ़ भाजपा का कहना है कि संशोधन से वक्फ बोर्ड की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
वक्फ मामलों का इतिहास
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बताया कि वक्फ संपत्तियों से संबंधित प्रावधान ब्रिटिश काल में 1934 में बनाए गए थे। आजादी के बाद 1995 में इसमें संशोधन किया गया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया, लेकिन इस पर राज्यों से कोई चर्चा नहीं की गई।
राज्यों से सलाह की मांग
ममता ने कहा कि केंद्र को राज्यों के वक्फ बोर्ड और उनके अधिकारों पर चर्चा करनी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड एक अर्ध-न्यायिक निकाय है और इस पर मनमाने तरीके से फैसले लेना संघीय ढांचे का उल्लंघन है। वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्र और विपक्ष के बीच मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। ममता बनर्जी ने इसे मुसलमानों पर हमला करार दिया है और केंद्र से मांग की है कि इस विधेयक को जल्दबाजी में पास करने से पहले सभी पक्षों से सलाह-मशविरा किया जाए।