मंदार सर्पिणी नामक खटमल एक राजा के बिस्तर को अपना निवास बना कर रहता था और जब राजा सोता तो वह चुपचाप उसका खून चूसकर अपने स्थान पर छिप जाता था. एक दिन अग्निमुख नाम का एक पिस्सू भी वहां घुस आया तो मंदार सर्पिणी ने उसे जाने को कहा. चालक अग्निमुख ने कहा कि मैं तुम्हारा मेहमान हूँ और इसलिए मुझसे इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए.
मंदार सर्पिणी उसकी बातों में आ गया लेकिन उसे कहा कि वह राजा का खून न पिए. अग्निमुख ने कहा कि मेहमान को भूखा नहीं रखा जाता इसलिए उसे भी राजा का खून चूसने दिया जाए. मंदार सर्पिणी फिर से उसकी बातों में आ गया लेकिन उसे हिदायत दी कि राजा को दर्द का अनुभव नहीं होना चाहिए. लेकिन राजा के आने पर खटमल सब कुछ भूल गया और राजा के स्वादिष्ट खून को चखने के बाद उसे जोर-जोर से काटकर और ज़्यादा खून चूसने लगा,
जिससे राजा परेशान होकर जाग गया. क्रोध में राजा ने अपने सेवकों से उस खटमल को ढूँढकर मारने की आज्ञा दी. अग्निमुख कंबल में छिप गया लेकिन सेवकों का ध्यान कंबल के कोने में बैठे मंदार सर्पिणी के पास गया और उन्होंने उसे पकड़ कर मार डाला.
सीख : हमें अजनबियों की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर उनपर भरोसा नहीं करना चाहिए अपितु उनसे सावधान ही रहना चाहिए।