भगवान राम के नाम से प्रसिद्ध राजा रामधन
स्पेशल स्टोरी : एक प्रसिद्ध राजा था जिसका नाम रामधन था | अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उसका धर्म था | उनकी प्रजा भी उन्हें राजा राम की तरह ही पुजती थी | राजा रामधन सभी की निष्काम भाव से सहायता करते थे फिर चाहे वो उनके राज्य की प्रजा हो या अन्य किसी राज्य की | उनकी ख्याति सर्वत्र थी | उनके दानी स्वभाव और व्यवहार के गुणगान उसके शत्रु राजा तक किया करते थे |
छल से राजा रामधन को हराया
उन राजाओं में एक राजा था भीम सिंह, जिसे राजा रामधन की इस ख्याति से ईर्ष्या थी | उस ईर्षा के कारण उसने राजा रामधन को हराने की एक रणनीति बनाई और कुछ समय बाद रामधन के राज्य पर हमला कर दिया | भीम सिंह ने छल से युद्ध जीत लिया और रामधन को जंगल में जाना पड़ा | इतना होने पर भी रामधन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं थी | हर जगह उन्ही की बाते चलती थी | जिससे भीम सिंह को चैन न था उसने राजा रामधन को मृत्युदंड देने का फैसला किया | उसने ऐलान किया कि जो राजा रामधन को पकड़ कर उसके सामने लायेगा वो उसे सो सोने की दीनार देगा |
उस गरीब व्यक्ति को लेकर भीम सिंह के दरबार में पहुंचे राजा रामधन
दूसरी तरफ, राजा रामधन जंगलों में भटक रहे थे | तब उन्हें एक राहगीर मिला और उसने कहा – भाई ! तुम इसी जगह के लगते हो | क्या मुझे राजा रामधन के राज्य की तरफ का रास्ता बता सकते हो ? राजा रामधन ने पूछा – तुम्हे क्या काम हैं राजा से ? तब राहगीर ने कहा – मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं उसके इलाज में सारा धन चला गया | सुना हैं राजा रामधन सभी की मदद करते हैं सोचा उन्ही के पास जाकर याचना करूँ | यह सुनकर राजा रामधन राहगीर को अपने साथ लेकर भीमसिंह के पास पहुँचे | उन्हें देख दरबार में सभी अचंभित थे |
राजा रामधन की महानता का परचम लहराया
राजा रामधन ने कहा – हे राजन ! आपने मुझे खोजने वाले को सो दीनार देने का वादा किया था | मेरे इस मित्र ने मुझे आपके सामने पेश किया हैं | अतः इसे वो सो दीनार दे दे | यह सुनकर राजा भीम सिंह को अहसास हुआ कि राजा रामधन सच में कितने महान और दानी हैं | और उसने अपनी गलती को स्वीकार किया | साथ राजा रामधन को उनका राज्य लौटा दिया और सदा उनके दिखाए रास्ते पर चलने का फैसला किया | दोस्तों इसी को कहते हैं “कर भला तो हो भला |”
भीम ने गलती स्वीकारी
कहाँ एक तरफ भीमसिंह राजा रामधन को मारना चाहता था और अंत में राजा रामधन की करनी देखे वो लज्जित हुआ और उन्हें उनका राज्य लौटा दिया और स्वयं को उनके जैसा बनाने में जुट गया | महान लोग सही कहते हैं “कर भला तो हो भला”| रामधन की करनी का ही फल था जो वो हारने के बाद भी जीत गया | उसने जिस तरह सभी की मदद की उसकी मदद अंत में उसी के काम आई |
कहानी से मिली सीख : मनुष्य को अपने कर्मो का ख्याल करना चाहिये | अगर आप अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा | माना कि कष्ट होता हैं लेकिन अंत सदैव अच्छा होता हैं |
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