एक किसान ने अपने अपने परिश्रम से बहुत पैसा कमाया, बहुत सारी जमीनें खरीदी, गाय – भैंस लिए। कई नौकर – चाकर उसके खेत में काम करने लगे, और अब उनकी लाइफ बहुत अच्छी हो गई और वह आराम से अपना जीवन जीने लगा।
कुछ समय बाद उस किसान की मृत्यु हो गई। अब सारी जिम्मेदारी उसके बेटे पे आ गई, पर उसका बेटा बहुत आलसी था। वह कभी भी परिश्रम का महत्व को नहीं समझता था।
वह बस यही सोचता की पिता जी ने तो सब बना ही दिया है। नौकर खेतों में काम करते है अनाज घर पहुंच जाता है मुझे क्या जरूरत काम करने की। काफी समय तक ऐसा चलता रहा। फिर धीरे – धीरे उसे नुकसान होने लगा बातों से काम अनाज आने लगा, गाय – भैंस के दूध से भी उसे मुनाफा नहीं होता।
अब वो लड़का थोड़ा परेशान होने लगा की ऐसा ही चलता रहा तो कुछ समय बाद तो खाने पीने की भी दिक्कत होने लगेगी।
एक दिन उस लड़के के घर, उसके पिता जी के दोस्त आये उन्हें पहले से ही पता था लड़के के बारे में, की ये बहुत अलसी है वो जानते थे की इसे समझाने का कोई मतलब नहीं।
इसलिए उन्होने उस लड़के की भलाई की लिए उससे कहा – बेटा तुम्हारे घर की ये स्थिति देख कर मुझे बहुत दुःख हो रहा है। जब तुम्हारे पिता जी थे तो सब बहुत अच्छा चलता था पर अब ये सब देख की मुझे ऐसा लग रहा मैं वो उपाय तुम्हे भी बताऊ जो मैंने तुम्हारे पिता जी को बताया था। जिसके वजह से तुम्हरे पिता जी इतने अमीर बन गए थे। लड़का बहुत खुश हुआ उसने कहा – कृपया कर की मुझे भी बताइये बस कोई मेहनत वाला काम मत बताइयेगा। उन सज्जन ने कहा नहीं बेटा इसमें कोई मेहनत का काम नहीं तुम्हे तो बस सफ़ेद हंस की दर्शन करने है।
वो हंस मानसरोवर पे रहता है। और सारे पक्षियों की जागने से पहले यहाँ आता है और शाम होने से पहले चला जाता है। बस ये पता नहीं की वो कब आएगा, पर एक बार जो कोई भी उसका दर्शन कर लेता है तो जिंदगी भर उसे कोई कमी नहीं होती, बिना मेहनत के ही उसके पास सब पता रहता है।
लड़का बहुत खुश हुआ और दूसरे ही दिन सुबह घर से बहार निकला और उस हंस की तलाश में अपने खेतो की तरफ गया। वहा उसने देखा की एक आदमी उसके खेतो से अनाज चुरा रहा था। खेत के मालिक को देख की शर्मिंदा हुआ और माफ़ी मांगने लगा।
खेत से वापस लौटते समय अपने गौशाला में गया वहा उसने देखा की गाय – भैंस की रखवाली करने वाला ही गाय का दूध दुह कर अपने ही लोगो को बांट रहा है।
ऐसा करने की लिए रखवाले को उसने डाट लगाई, और वापस घर आ गया। नाश्ता करने की बाद तुरंत वो हंस की दर्शन करने की लिए खेतो में चला गया। वहा पहुंच के उसने देखा इतना समय हो गया पर खेतों पर अभी तक मजदूर नहीं आये है।
जब मजदूर आये तो उन्हें भी डाट लगाई। इस तरह वह जहा – जहा गया उस दिन वहा अपने होने वाले रोज के नुकसान से बच गया। सफ़ेद हंस की तलाश में वो लड़का अब रोज सुबह ही अपने घर से निकल जाता।
उसके डर से उसके मजदूर समय से काम पे आने लगे और पूरे मन से काम करने लगे, उसके खेतो से और दूध की चोरी होना भी बंद हो गई। पहले की तुलना में अब उसे मुनाफा होने लगा और उसकी आमदनी बढ़ गई।
एक दिन उसके पिता जी के दोस्त फिर से उसके घर आये। उन्हें देख के लड़के ने बोला की सफ़ेद हंस तो अभी तक नहीं दिखा मुझे पर उसकी खोज में ही मैं जब से लगा हु, तब से ही मुझे बहुत लाभ होने लगा। पता नहीं वो जिस दिन दिख जायेगा उस दिन क्या होगा ? उसके पिता जी के दोस्त हसने लगे और बोले – तुम अभी तक नहीं समझे। परिश्रम करना ही वो सफ़ेद हंस है। परिश्रम का फल हमेसा उजाले की तरफ होता है। जो परिश्रम करना बंद कर के अपना काम नौकरो पे छोड़ देता है, उसे हमेशा नुकसान का सामना करना पड़ता है। और जो खुद परिश्रम कर के अपने तथा अपने लोगो की देखभाल करता है। वही सम्पति और लोगो से सम्मान पता है
सारांश – परिश्रम का महत्व की कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की कमजोरी से या आलस करने से कुछ नहीं होने वाला। बल्कि जो कुछ है वो भी चला जायेगा।