Motivational Story – कई बार जब लोग जीवन में काम करना सुरु करते है तब उन्हें बहुत ज्यादा दर्द होता है, तकलीफ होती है उन्हें बहुत ज्यादा मेहनत करना पड़ता है और ये बात उनसे बर्दाश नहीं हो पाती है उनका शरीर जवाब दे देता है और वो उस काम को छोड़कर किसी और तरकीब से सफल होने का प्रयास करते रहते है।
लेकिन याद रखियेगा इस प्रकार से कोई भी व्यक्ति जीवन में सफल नहीं हो पता है याद रखियेगा की सफलता का मार्ग मेनहत, दर्द और तख़लीफ़ से होलर गुजरेगा और यह आपको सहना ही पड़ेगा तो इसके लिए आप हमेशा तैयार रहिये।
तो चलिए इस बात को एक कहानी के माध्यम से समझते है।
एक बार एक मूर्तिकार अपनी छीनी और हथौड़ी से एक पत्थर को भगवान की मूर्ति का आकार देने का प्रयाश कर रहा था जैसे ही वह छीनी पर अपना हौथोड़ा चलाता, वह पत्थर चिल्लाने लगता और कहने लगता की ये क्या कर रहे हो मुझे इतना मार क्यों रहे हो मुझे बहुत दुःख हो रहा है तकलीफ हो रही है पीड़ा हो रही है, मुझे अपने हाल पर छोड़ दो और यहाँ से चले जाओ।
मूर्तिकार ने उस पत्थर से कहाँ मुझे बहुत अच्छे से पता है की तुम्हे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है, तकलीफ हो रही है और तुम बहुत ही ज्यादा पीड़ा में हो, लेकिन यदि आज तुमने इस दर्द को नहीं सहा, इस तकलीफ को नहीं सहा तो जीवन भर तुम यही इसी प्रकार से पड़े रहोगे।
मुझे पता है की तुममे आगे बढ़ने की अपार सम्भावना है, तुम एक बहुत अच्छे पत्थर हो लेकिन यदि तुम इसी प्रकार से रहोगे तो कभी भी आगे नहीं बढ़ पाओगे इतना कहकर मूर्तिकार औजार उठाये ही थे की पत्थर फिर से चिल्लाने लगा, गिड़गिड़ाने लगा, विनती करने लगा की मुझे अपने हाल पर छोड़ दो मुझे पता है की जीवन के लिए कौन सी चीज़ सही है और कौन सी चीज़ गलत है मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है अब मैं इस तकलीफ को बहुत ज्यादा नहीं सह सकता मैं जिस हाल में जो उस हाल में छोड़ कर मुझे तुम यह से चले जाओ।
उस मूर्तिकार फिर से उस पत्थर को समझाने की कोशिश की ज्यादा अधीर मत बनो और अपने सब्र को बनाये रखो थोड़ी देर और इस दर्द को सहो यदि इस दर्द को सह लिया तो मैं भगवान की मूर्ति के रूप में तुम्हारी स्थापना करवाऊंगा और फिर दूर-दूर से लोग तुम्हारी लोग पूजा करने आएंगे और पंडित और लोग तुम्हारी सेवा करंगे।
लेकिन पत्थर ने उस मूर्तिकार की एक भी बात नहीं मानी वह चिल्लाता रहा और अपनी बात पर अड़ा रह। मूर्तिकार में उस पत्थर को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन वो पत्थर नहीं माना अब मूर्तिकार भी थक चूका था।
और वह उस पत्थर को छोड़कर आगे बढ़ गया और थोड़ी ही दूर जाकर देखा की एक और बहुत ही अच्छा पत्थर वह पड़ा हुआ है उसने छीनी और हथौड़ी उठायी और उस पत्थर को मूर्ति बनाने की लिए वो तैयार हो गया।
मूर्तिकार ने छीनी और हथौड़ी का वार दूसरे पत्थर पर जारी रखा, दूसरे पत्थर को भी दर्द हुआ तकलीफ उससे भी हुयी। लेकिन उस पत्थर ने बर्दाश कर लिया और देखते ही देखते थोड़ी समय के बाद उस पत्थर ने भगवान की मूर्ति का रूप धारड़ कर लिया।
थोड़ी दिन बाद उस मूर्ति की एक मंदिर में स्थापना हो गयी धीरे-धीरे कर के लोग वह पूजा पाठ करने आने लगे लोगो की मन्नते वहां से पूरी होने लगी और वह मंदिर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध हो गया।
अब धीरे-धीरे करके दूर-दूर के गांव से लोग वहां पूजा पाठ करने आने लगे फिर एक दिन और उससे पत्थर को उसी मंदिर में लाया गया और उसे एक कोने में रख दिया गया अब लोग आते और उस पर नारीयल फोड़ते ये कोई और पत्थर नहीं बल्कि भी पत्थर था जिसने दर्द को नहीं सहा था।
अब वो पत्थर मन ही मन बहुत ज्यादा पछता रहा था, दुखी हो रहा था और अपने आप से कह रहा था की काश मैंने उस दिन उस दर्द को उस तकलीफ को सह लिया होता तो आज लोग मेरी भी पूजा करते।
इसलिए आप भी अपने जीवन में हमेशा याद रखियेगा की जब भी आप अपने CAREER की शुरुआत में किसी काम को कर रहे हो पढाई कर रहे हो या कोई भी काम कर रहे हो और उसमे आपको दर्द हो रहा है, तकलीफ हो रही है ज्यादा मेनहत करना पड़ रहा है तो आप रुकिएगा मत किसी और रास्ते की शुरुआत मत करियेगा।
क्योंकि कोई और रास्ता आपको सफलता नहीं दे सकता है आपको उस दर्द को, उस तकलीफ को सहना ही होगा और उस दर्द को उस तकलीफ को सह कर आप ज्यादा मजबूत बनेंगे और तभी आप अपने जीवन में आगे बढ़ पाएंगे और जीवन में हमेशा याद रखियेगा की आपको पहले पत्थर की तरह नहीं बल्कि दूसरे पत्थर की तरह बनना है।