अमेरिका और रूस के बीच चल रही वर्चस्व की लड़ाई अब अंतरिक्ष तक पहुंच गई है।फरवरी महीने में, दोनों देशों के सैटेलाइट्स आपस में टकराने की कगार पर आ गए थे।यह घटना अंतरिक्ष मलबे के बढ़ते खतरे और अंतरिक्ष सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताती है।
क्या हुआ था?
- रूसी अंतरिक्ष यान ‘कॉसमॉस 2221’ (Cosmos 2221) 10 मीटर की दूरी से गुजरते हुए एक अमेरिकी सैटेलाइट के करीब आ गया।
- यह घटना 16 फरवरी, 2024 को हुई थी।
- अगर दोनों सैटेलाइट टकराते तो मलबे के टुकड़े पृथ्वी पर गिरकर जान-माल का नुकसान कर सकते थे।
खतरे का अंदाजा:
- नासा की डेप्युटी एडमिनिस्ट्रेटर कर्नल पाम मेलरॉय ने कहा कि यह “बहुत चौंकाने वाली” घटना थी।
- उन्होंने बताया कि टकराने से बचे अमेरिकी सैटेलाइट “टाइम्ड” (Timed) था।
- अगर टकराते तो 10 हजार मील प्रति घंटे की रफ्तार से मलबे के टुकड़े पृथ्वी पर गिर सकते थे।
- यह मलबा अंतरिक्ष यानों, उपग्रहों और यहां तक कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खतरा बन सकता था।
अंतरिक्ष मलबे का खतरा:
- स्पेस कचरा बीते कई वर्षों में लगातार बढ़ रहा है।
- दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां अपने सैटेलाइट लॉन्च कर रही हैं, जो निष्क्रिय होकर मलबे में बदल जाते हैं।
- 4 फरवरी 2022 तक के डेटा के अनुसार, रूस के पास 7 हजार से अधिक रॉकेट बॉडी अंतरिक्ष में मलबे के रूप में घूम रही हैं।
- अमेरिका 5,216 मलबे के टुकड़ों के साथ दूसरे नंबर पर है।
- चीन 3,845 मलबे के टुकड़ों के साथ तीसरे नंबर पर है।
क्या किया जा सकता है?
- अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयासों की आवश्यकता है।
- सैटेलाइट डिजाइन में सुधार किया जाना चाहिए ताकि वे कम मलबा पैदा करें।
- पुराने सैटेलाइट और मलबे को हटाने के लिए तकनीकों का विकास किया जाना चाहिए।
यह घटना अंतरिक्ष सुरक्षा को लेकर एक चेतावनी है।
अंतरिक्ष मलबे का खतरा बढ़ रहा है और इसे रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।