भारत और चीन के बीच तनावपूर्ण हालात कम होते नहीं दिख रहे हैं। कई बार भारत की ओर से यह स्पष्ट किया गया है कि भले ही सीमा पर शांति हो, लेकिन चीन अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा। यही कारण है कि भारत लगातार पांचवीं सर्दियों में भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी सैनिक तैनाती बनाए रखेगा। इसका मुख्य कारण यह है कि चीन पर विश्वास करना मुश्किल है, क्योंकि वह कहता कुछ और करता कुछ और है।
सेना पूरी तैयारी के साथ पूर्वी लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश-सिक्किम क्षेत्र के दुर्गम इलाकों में अपने सैनिकों की तैनाती जारी रख रही है। सैन्य सूत्रों के मुताबिक, जमीनी स्तर पर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ विश्वास की कमी काफी अधिक है। PLA की ओर से एलएसी पर ‘स्थायी सुरक्षा’ और बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से किया जा रहा है, जिससे यह स्पष्ट है कि चीन निकट भविष्य में अपनी शांतिकालीन स्थिति में वापस लौटने का इरादा नहीं रखता।
सेना वर्तमान में शीतकालीन तैयारी में जुटी है, ताकि कठोर परिस्थितियों का सामना किया जा सके। इस समय सेना का जोर शीतकालीन स्टॉकिंग पर है, जिससे सैनिकों को सर्दी के मौसम में भी बेहतर संसाधन मिल सकें।
जनरल उपेंद्र द्विवेदी और सात सैन्य कमांडरों के बीच 9-10 अक्टूबर को सिक्किम के गंगटोक में एक बैठक आयोजित होगी, जहां एलएसी की मौजूदा स्थिति की समीक्षा की जाएगी। इस बैठक में परिचालन स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत बनाने पर चर्चा की जाएगी।
हाल ही में 12 सितंबर को सेंट पीटर्सबर्ग में BRICS बैठक के दौरान भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच वार्ता हुई थी। हालांकि, दोनों देशों के बीच तनाव और दुश्मनी अभी भी बनी हुई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जब तक यथास्थिति बहाल नहीं होती और सैनिकों को वापस नहीं बुलाया जाता, तब तक सीमा पर खतरा बरकरार रहेगा।
भारत ने एलएसी पर चीन की चालबाजियों को देखते हुए ठंड से पहले अपनी सैन्य तैयारियों को तेज कर दिया है। चीन की गतिविधियों पर नजर रखते हुए, भारत कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहता और अपनी स्थिति को मजबूती से बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।