यह भजन भक्ति और आत्मसमर्पण का भाव व्यक्त करता है। इस भजन को गाकर,भक्त अपने जीवन का सारा भार ईश्वर के हाथों में सौंप देता है। वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि वह उसे जीवन में सही मार्ग दिखाए और उसे सभी बाधाओं से बचाए। यह भजन भक्तों को आशा और शक्ति प्रदान करता है।
|| भजन ||
अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार तुम्हारे हाथों में
अब सौंप दिया इस जीवन का,
सब भार तुम्हारे हाथों में।
है जीत तुम्हारे हाथों में,
और हार तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥
मेरा निश्चय बस एक यही,
इक बार तुम्हें पा जाऊँ मैं।
अर्पण कर दूँ दुनिया भरका,
सब प्यार तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥
जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ,
ज्यों जल में कमल का फूल रहे।
मेरे सब गुण दोष समर्पित हों,
करतार तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥
यदि मानव का मुझे जन्म मिले,
तो तव चरणों का पुजारी बनूँ ।
इस पूजक की इक रग-रग का,
हो तार तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥
जब-जब संसार का कैदी बनूँ,
निष्काम भाव से कर्म करूँ।
फिर अन्त समय में प्राण तजूं,
निराकार (साकार) तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥
मुझमें तुझमें बस भेद यही,
मैं नर हूँ तुम नारायण हो।
मैं हूँ संसार के हाथों में,
संसार तुम्हारे हाथों में ॥ 1 ॥