बेंगलुरु में महालक्ष्मी की हत्या की जड़ें एक शादी के प्रस्ताव, तीखी नोकझोंक और कई अफेयर में छिपी हुई हैं। इस जघन्य अपराध में मुख्य संदिग्ध मुक्ति रंजन रॉय की मां ने कहा कि उसके बेटे ने आत्महत्या करने से कुछ घंटे पहले उन्हें अपनी करतूत का जिक्र किया था। पुलिस का मानना है कि महालक्ष्मी की हत्या श्रद्धा वाकर के मामले से प्रेरित हो सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, महालक्ष्मी का शव 18 दिनों तक रेफ्रिजरेटर में रखा गया, जिसे मुक्ति ने धारदार चाकू से 59 टुकड़ों में काटा। मुक्ति इस जघन्य अपराध के बाद बेंगलुरु से फरार हो गया।
मुक्ति और महालक्ष्मी के बीच लगभग छह महीने तक संबंध रहा, लेकिन यह काफी उथल-पुथल भरा रहा। दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते थे, जिनकी शिकायत भी मल्लेश्वरम पुलिस स्टेशन में की गई थी।
महालक्ष्मी के परिवार ने आरोप लगाया कि वह मुक्ति से पैसे और अन्य कीमती सामान ऐंठती थी। मुक्ति के भाई ने बताया कि महालक्ष्मी उसे ब्लैकमेल करती थी और उसे कई बार पीटा गया था।
मुक्ति के भाई ने कहा कि उसके पास एक सुसाइड नोट है, जिसमें लिखा है कि महालक्ष्मी के आचरण से तंग आकर उसने उसे मारा। इस पत्र में महालक्ष्मी के दबाव का भी उल्लेख है, जिसके कारण मुक्ति ने हत्या की योजना बनाई।
बेंगलुरु में महालक्ष्मी की हत्या ने न केवल उसके परिवार को तोड़ दिया बल्कि समाज में भी सुरक्षा और पारिवारिक संबंधों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह मामला कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से जांच का विषय बना हुआ है।