बांग्लादेश से लगातार आ रही खबरों के अनुसार, हिंदू समुदाय को लक्षित करके हिंसा की जा रही है। हाल ही में, बांग्लादेश के पंचगढ़ में दंगाइयों ने हिंदू आबादी को निशाना बनाते हुए एक पूरे गांव को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा का एक ताजा उदाहरण 5 अगस्त को ढाका के मांडा फार्मेसी चलाने वाले गोपाल राजबोंगशी की कहानी से मिला है। जब उन्होंने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के देश छोड़ने की खबर सुनी, तो उन्होंने अपनी दुकान बंद करने और कर्मचारियों को घर जाने का आदेश दिया।
इसके बाद, एक समूह ने उनकी फार्मेसी में तोड़फोड़ की और दुकान के शटर को तोड़ते हुए दवाएं, कंप्यूटर सिस्टम और लगभग 27,000 रुपये की नकदी लूट ली। राजबोंगशी ने कहा कि उनकी दुकान में लगभग 21.5 लाख रुपये की दवाएं और उपकरण थे, जो सब लूट लिए गए। जब उसे पता चला कि भीड़ उसे ढूंढ रही है, तो वह अपनी पत्नी, 11 साल के बेटे और एक साल की बेटी के साथ भाग गया और पिछले एक हफ्ते से छिपकर रह रहा है। उसने कहा, “मैं पैसे खो सकता हूं, लेकिन मैं अपनी जिंदगी और परिवार को खोना नहीं चाहता।”
बांग्लादेश के हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा की यह लहर पिछले हफ्ते से जारी है, जब गुस्साए प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री हसीना के सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। अल्पसंख्यक समुदायों के दो संगठनों के अनुसार, 5 अगस्त के बाद से 52 जिलों में हिंदू समुदाय के खिलाफ 205 से अधिक हमलों की घटनाएं हुई हैं।
बांग्लादेश हिंदू, बौद्ध, ईसाई एकता परिषद और बांग्लादेश पूजा उद्जापन परिषद, जो अल्पसंख्यक समुदाय का प्रतिनिधित्व करती हैं, ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से मुलाकात करने की योजना बनाई है ताकि इस हिंसा का समाधान निकाला जा सके।