You Must Grow
India Must Grow

NATIONAL THOUGHTS

A Web Portal Of Positive Journalism 

These 5 herbs will save you from kidney failure, there will be no need for dialysis

किडनी फेल होने से बचा लेंगी ये 5 जड़ी बूटी, Dialysis की नहीं आएगी नौबत

Share This Post

नई दिल्ली (नेशनल थॉटस) : क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) से दुनियाभर में 80 करोड़ से ज्यादा लोग परेशान हैं। यह मौत की भी बड़ी वजह है। भारत जैसे देश में, जहां लो और मिडल क्लास बहुत ज्यादा है, समस्या और गंभीर है। यहां ज्यादातर लोग इस बीमारी के नतीजे नहीं झेल पाते। डायलिसिस और ट्रांसप्लांटेशन का खर्च भी उनकी कमर तोड़ देता है।

 

किडनी खराब होने के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
किडनी रातों-रात फेल नहीं होती, धीरे-धीरे इस हाल तक पहुंचती है। लेकिन किडनी फेल्योर के लक्षण बहुत कम और नॉर्मल होने की वजह से इसके बारे में समय से पता नहीं चलता और इलाज देर से शुरू हो पाता है। इलाज समय से शुरू हो, तभी सफल होगा। इसलिए, अलग तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए।

  • पेशाब कम आना
  • हाथ-पैरों में सूजन
  • थकान महसूस होना
  • सांस लेने में परेशानी

किडनी का ऐसे रखें ध्यान
कई बार, सीरम क्रिएटिनिन, ब्लड यूरिया और यूरिन एल्बुमिन के लेवल्स अब नॉर्मल रेंज तक बढ़ जाते हैं। इससे किडनी फंक्शन में गड़बड़ी का इशारा मिलता है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और मेडिसिनल प्रीपरेशंस इन इंडिकेटर्स को नॉर्मल रेंज में लाने का काम करते हैं। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले हर्बल फॉर्मुलेशंस में पुनर्नवा, कासनी, वरुण, पलाश और गोक्षुरा का इस्तेमाल किया जाता है।
 
किडनी फंक्शन में होगा सुधार

आयुर्वेद के ट्रेडिशनल तरीके में नेचुरल चीजों का प्रयोग करके बीमारियां ठीक की जाती हैं। इनमें ऐसी परेशानियां भी होती हैं, जहां एलोपैथिक दवाइयां काम नहीं कर पातीं। किडनी फेल्योर को भी आयुर्वेद से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। शरीर में असंतुलन को सही करके और किडनी फंक्शन में सुधार से आयुर्वेद में किडनी डैमेज को ठीक करने की भी ताकत होती है।

अलग-अलग तरीके से काम करता है आयुर्वेद

आयुर्वेदिक इलाज हर मरीज की स्थिति के आधार पर तय होता है। इसलिए, किडनी फेल्योर के इलाज के लिए किसी एक दवा का नाम नहीं लिया जा सकता, जबकि एलोपैथिक इलाज में यही ट्रेंड होता है। मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री, कोमोर्बिटीज, लक्षण, बीमारी की स्टेज और सेहत को देखकर ही आयुर्वेदिक इलाज तय किया जा सकता है। इसके अलावा, आयुर्वेद शरीर में असंतुलन (दोष) दूर करने का काम करता है, इसलिए भी हर मरीज के इलाज का तरीका अलग होगा। एक मरीज को जिन दवाइयों से आराम मिले, जरूरी नहीं कि वह दूसरे के लिए भी फायदेमंद हो।

बीमारी की जड़ दूर करता है आयुर्वेद

आयुर्वेदिक इलाज का सिद्धांत, केवल लक्षणों के इलाज की बजाय इसकी जड़ तक पहुंचना होता है। आयुर्वेदिक डॉक्टर, इलाज शुरू करने से पहले बीमारी के मूल कारण का पता लगाते हैं। कई बार, किडनी फेल्योर किसी पुरानी वजह से होता है, जिसमें हाइपरटेंशन, डायबिटीज, दिल की बीमारियां और किसी दवा से एलर्जी आदि हो सकते हैं। आयुर्वेदिक इलाज से पहले, किडनी फेल्योर के कारण का पता लगाकर इसे दूर किया जाता है।

ऑल नेचुरल ट्रीटमेंट

इस ट्रेडिशनल मेडिसिन की मदद से मरीज इलाज के घिसे-पिटे और महंगे तरीकों से बच जाते हैं, जैसे – डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांटेशन। इन्हें किडनी फेल्योर के मरीजों के लिए आखिरी इलाज के रूप में देखा जाता है। उधर, आयुर्वेदिक इलाज ऑल नेचुरल ट्रीटमेंट होता है। लेकिन मरीजों को खुद कोई इलाज ट्राई नहीं करना चाहिए, क्योंकि किसी भी दवा के काम करने का असर शरीर के दूसरे फंक्शन पर पड़ सकता है। भले ही यह दवाई नैचुरल हो या नहीं।

 

 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *