बच्चों, क्या तुम जानते हो किसने कहा था, ‘हे राम, भारत छोड़ो’? जी, यह बात राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कही थी। लेकिन उनके बचपन में भी वे बुरी आदतों में पड़ गए थे। वे बीड़ी पीते थे, चोरी करते थे, झूठ बोलते थे, और मांस खाते थे, ये सब उनकी आदतें बन चुकी थीं। लेकिन कहीं ना कहीं, उनके दिल में छिपी अच्छाई ने उन्हें यह सब छोड़ने के लिए मजबूर किया।
उन्होंने मां से तो सब कुछ कह दिया था, लेकिन पिताजी के बीमार होने के कारण वह उनसे माफी मांगने के लिए साहस नहीं कर पाए। इसके बजाय, उन्होंने एक पत्र लिखकर दिया। उन्होंने उस पत्र में सब कुछ लिख दिया और पिताजी को वह पत्र पढ़ने का मौका दिया।
पिताजी ने पत्र पढ़कर रोने लगे, लेकिन उन्होंने मोहन को कुछ नहीं कहा। उन दोनों के बीच सभी शिकायतें और गिले-शिकवे आंसुओं के साथ बह गए। और गांधी जी का नाम ना सिर्फ भारत में, बल्कि पूरे विश्व में सम्मान के साथ जाना जाता है, और यह सम्मान हमेशा बना रहेगा।