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आज की कहानी : लालची कुत्ता

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एक गांव में एक लालची कुत्ता रहता था। वह गांव में घूम-घूम कर खाने की तलाश करता था। वह इतना लालची था कि उसे जितना भी खाने के लिए मिलता था, उसे कम ही लगता था।

गांव के दूसरे कुत्तों के साथ पहले उसकी अच्छी दोस्ती थी, लेकिन उसकी इस आदत की वजह से सभी उससे दूर रहने लगे, लेकिन उसे कोई फर्क नहीं पड़ा, उसे सिर्फ अपने भोजन से मतलब था। कोई न कोई आते जाते उसे खाने के लिए कुछ न कुछ दे ही देता था। उसे जो खाने को मिलता उसे वो अकेले ही चट कर जाता।

एक दिन उसे कहीं से एक हड्डी मिल गई। हड्डी को देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसने सोचा कि इसका आनंद तो अकेले ही लेना चाहिए। यह सोचकर वो गांव से जंगल की ओर जाने लगा।
रास्ते में वह पुल के ऊपर से नदी पार कर रहा था, तभी उसकी नजर नीचे नदी के ठहरे हुए पानी पर पड़ी। उस समय उसकी आंखों में सिर्फ हड्डी का लालच था। उसे यह भी पता नहीं चला कि नदी के पानी में उसका ही चेहरा नजर आ रहा है।

उसे लगा की नीचे भी कोई कुत्ता है, जिसके पास एक और हड्डी है। उसने सोचा कि क्यों न उसकी भी हड्डी छीन लूं, तो मेरे पास दो हड्डियां हो जाएंगी। फिर मैं एक साथ दो हड्डियों के मजे से खा सकूंगा। ऐसा सोचकर वह जैसे ही पानी में कूदा, उसके मुंह से हड्डी सीधे नदी में जा गिरी।

मुंह से छूटकर हड्डी के पानी में गिरते ही कुत्ते को होश आया और उसे अपने किए पर पछतावा हुआ।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। लालच करने से हमारा ही नुकसान होता है।

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