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आज की कहानी-भाग्यशाली पश्चाताप

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घर का सारा कचरा इकट्ठा किया और बड़बड़ाती हुई बाहर निकली- ‘संगीत के नाम पर बस अब यही आवाज शेष रह गई है जीवन में, बीस दिन हो गए स्पीकर खराब हुए, पर यहां किसी को कोई फर्क ही नहीं पड़ता, कितनी बार कहा कि ठीक करवा दो, पर नहीं…।’

रिया ने देखा कि पति अखबार में डूबा हुआ है, पर ऐसा तो नहीं था। वह चश्मे की ओट से उसे ताक रहा है और खुद से कह रहा है- ‘ घर आजकल घर कम और जंग का मैदान हो गया है।’

घर मे सुबह सुबह भजन लगाकर घर का सारा काम करने की आदत थी रिया की। सुबह बिना संगीत सुने उसकी दिनचर्या अधूरी सी थी। “अगर इस पुराने डब्बे को ठीक नही करा के दे सकते तो मुझे सस्ते ईयर फ़ोन ही ला दो”-रिया का रेडियो आज सुबह से लगातार पटर पटर चल रहा था

दरअसल कुछ दिनों पहले रिया ने शादी की सालगिरह पर बतौर तोहफा साड़ी की मांग रखी थी। रोहित ने यह कहते हुए मना कर दिया कि करीबी रिश्तेदारों में बहुत सारी शादियां हैं। उनके लिए उपहार भी लेना होगा, तो बजट गड़बड़ा सकता है। बस रिया तब से खफा थी। आए दिन किसी न किसी बात पर तकरार हो जाती।

इसी से बचने के लिए आजकल रोहित ऑफिस के लिए जल्दी ही निकल जाता था। वैसे एक वजह यह भी थी कि ऑफिस में उसका मन ज्यादा लगने लगा था। अच्छी लगने लगी थी सरिता। नई जॉइनिंग थी दफ्तर में उसकी।

आज तो रोहित और सरिता ने ऑफिस से हाफ-डे ले लिया। सरिता को सालगिरह पर खरीदारी जो करानी थी। रोहित पेमेंट करने लगा तो उसका ध्यान पास खड़े राकेश पर गया। राकेश रिया के दूर के रिश्ते का भाई लगता है। राकेश ने तंज कसते हुए कह ही दिया- ‘बहुत शॉपिंग हो रही है जीजू आजकल… ‘ फिर कान में फुसफुसाते हुए बोला- ‘दीदी को….। ‘

रोहित के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं। अचानक उसे लगा कि आखिर वह क्या कर रहा है? रिया को पता चल गया तो? कितना भी झगड़ा हो, पर उसे खोने के डर से ही वह घबरा गया। घर जाने से पहले उसने रिया के लिए एक ईयर फोन खरीदा।

घर में कदम रखते ही रिया से कहा, ‘आज बाहर ही पाव भाजी खा कर आएंगे रिया। ‘ और रिया के हाथ में ईयर फोन थमा दिया। ईयर फोन देखकर और पति के नरम पड़ते हुए तेवर देखकर वह भी खुश हो गई।

बाइक पर बैठने से पहले ही रिया ने कानों में ईयर फोन ठूंस लिए। इधर वह गाने में खोई थी, उधर रोहित पश्चाताप में अपनी भूल की क्षमा मांग रहा था। रिया से वो अपनी हल्की नम हुई आंखों के साथ साथ लगातार क्षमा मांगे जा रहा था। बाइक चलाते-चलाते वह गर्दन को मोड़कर जरा देखता, पर उसे समझा न आया कि रिया के कानों में तो ईयरफोन लगे हैं!

रिया को महसूस हुआ कि रोहित कुछ कह रहा है, पर उसे अभी सिर्फ संगीत सुनना था। ईयर फोन तब कान से निकले, जब बाइक पाव भाजी के ठेले के पास जाकर रुकी। बाइक रोकते ही रोहित ने रिया का हाथ बड़े प्यार से अपने हाथ में लिया और बोला, ‘सॉरी रिया, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी।’

भारतीय ग्रहणी के सुंदर मनोभाव रखने वाली रिया ने तुंरन्त पति को बड़ा बनाते हुए कहा- ‘मेरी भी तो गलती है, बहुत गुस्सा करती हूं न! अब नहीं करूंगी।’

दोनो के मन शांत थे। दोनो को अहसास था कि परिवार को चलाने में उनके जीवन साथी ने बहुत मेहनत की है। दोनो ने मन मे अब से ये गलती दुबारा न होगी ऐसा निश्चय कर लिया था। तब तक पाव भाजी की प्लेट उनके सामने आ चुकी थी और मुस्कुराता से पश्चाताप का ईयरफोन कंधे पर झूल रहा था। रोहित अपनी गलती कह चुका था और रिया अपनी मान चुकी थी, दोनो संतुष्ट थे।

सार- जीवन के सफर में पश्चाताप या अफसोस करना दो भावनाएं ऐसी दु:खदायी हैं जिसका असर बाहर से दिखाई नहीं देता, लेकिन अंदर अजीब सी घुटन महसूस होती है या अपना मन अंदर ही अंदर दु:खी होता है। पश्चाताप की भावना में बुद्धि का सोचना बंद हो जाता है।

 

निराश होकर कभी भी हम अतीत की बीती हुई बातों को परिवर्तित नहीं कर सकते।प्रायश्चित व्यक्ति के मन को निर्मल बनाता है यद्यपि व्यक्ति का मान कुलसित, संकुचित हो जाता है और वह खुद को जीवनभर पापी ही समझता रहता है इसलिये प्रायश्चित करके अपने पापों को भुलकर पुण्य पर ही ध्यान देना जरूरी है। इसको लेकर जीवन भर अपराध बोध नहीं पालना चाहिए।

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