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आज की कहानी-पंडित दीनदयाल उपाध्याय

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कोलकाता के भीड़ भरी सड़क पर एक महिला कुछ बड़ – बड़ाते हुए तेज कदमों से चली जा रही थी। एक सज्जन व्यक्ति महिला के इस प्रकार के कृत्य और परेशानी को देखकर महिला के सामने आए , और परेशानी का कारण पूछा। महिला अनमने ढंग से उसे वहां से जाने के लिए कहती है , किंतु काफी अनुनय विनय और विश्वास दिलाने के बाद महिला ने अपनी परेशानी सज्जन पुरुष के सामने रखी।

मेरा पति काफी समय से बीमार है , उसके इलाज में सारा धन समाप्त हो गया है , यहां तक कि घर को गिरवी रखना पड़ा , किंतु पैसे की पूर्ति नहीं हुई। अब समझ में नहीं आ रहा है कि मैं अपने पति का इलाज कैसे करवाऊं ?

कोई मुझे कर्ज भी नहीं दे रहा है। सज्जन काफी देर तक धैर्यपूर्वक महिला की बात सुनते रहे और कुछ समय ठहरे और कहा – “जितना धन / पैसा आपको इलाज के लिए चाहिए वह मैं दे सकता हूं।” जब आपके पास पैसे हो जाएं तो मुझे लौटा देना। ‘

महिला पैसा लेने के लिए मना करती रही किंतु सज्जन के आग्रह पर महिला पैसे को लेने से इनकार नहीं कर पाती। दो महीने तक महिला ने अपने पति का इलाज करवाया , महिला का पति दो महीने में स्वस्थ और चलने – फिरने लायक हो गया। महिला अपने पति के साथ उस सज्जन के बताए पते पर राशि लौटाने पहुंचे।

महिला और उसके पति को स्वस्थ देखकर उस सज्जन व्यक्ति को अपार प्रसन्नता हुई। यह देख कर सज्जन काफी प्रसन्न हुए , उन्हें लगा आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने किसी मनुष्य की सहायता की , जिससे उसके प्राण बचे ऐसा महसूस करते हुए वह दिव्य अनुभूति को प्राप्त हो रहे थे।

महिला और उसके पति ने सज्जन व्यक्ति के पैरों को स्पर्श करते हुए उन्हें खूब धन्यवाद कहा और जीवन में सफल होने का आशीर्वाद दिया साथ ही पूरे पैसे सज्जन व्यक्ति के हाथों में सुपुर्द किया और कहा आप जैसे देवता इस समाज में हो तो समाज कभी दुखी न हो। बाद में दोनों को पता चला वह व्यक्ति कोई और नहीं वह स्वयं पंडित दीनदयाल उपाध्याय थे।

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