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आज की कहानी : बुढापे का सहारा बेटा या बेटी नहीं

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आखिर आपके बुढ़ापे का सहारा कौन ?

स्पेशल स्टोरी : *”बहु”* होती हैं जैसे कि – लोगों से अक्सर सुनते आये हैं कि बेटा या बेटी बुढ़ापे की लाठी होती है इसलिये लोग अपने जीवन मे एक *”बेटा एवं बेटी”* की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे। ये बात सच भी है *क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है।* बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है और *फिर बहु बन जाती है अपने बूढ़े सास-ससुर की बुढ़ापे की लाठी ।*

बहु ही है एक उत्तर

जी हाँ,  मेरा तो यही मानना है वो बहु ही होती है जिसके सहारे बूढ़े सास-ससुर अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करते हैं । *एक बहु को अपने सास-ससुर की पूरी दिनचर्या मालूम होती है*। कौन कब और कैसी चाय पीते है,  क्या खाना बनाना है, शाम में नाश्ता में क्या देना, रात को हर हालत में 9 बजे से पहले खाना बनाना है । अगर सास-ससुर बीमार पड़ जाए तो पूरे मन या बेमन से *बहु* ही देखभाल करती है ।

समाज की परेशानियाँ

अगर एक दिन के लिये बहु बीमार पड़ जाए या फिर कही चले जाएं , तो पूरे घर की धुरी हिल जाती है । परंतु यदि बेटा 15 दिवस की यात्रा पर भी चला जाये तो भी बहू के भरोसे घर सुचारू रूप से चलता रहता है । बिना बहू के सास-ससुर को ऐसा लगता है जैसा उनकी लाठी ही किसी ने छीन ली हो । वे चाय नाश्ता से लेकर खाना के लिए छटपटा जाएंगे । कोई और पूछने वाला उनके पास नहीं होता ।

अपने बच्चों के पास ही माँ-बाप के लिए समय नहीं

क्योंकि बेटे के पास समय नही है और अगर बेटे को समय मिल जाये भी तो वो कुछ नही कर पायेगा क्योंकि उसे ये मालूम ही नही है *कि माँ-बाबूजी को सुबह से रात तक क्या क्या देना है ।* क्योंकि बेटे के चंद सवाल है और उसकी ज़िम्मेदारी खत्म…

सभी चीजों का ख्याल रखना

जैसे माँ-बाबूजी को खाना खाएं ,चाय पियें , नाश्ता किये , लेकिन कभी भी ये जानने की कोशिश नही करते कि वे क्या खाते हैं कैसी चाय पीते हैं । ये लगभग सभी घरों की कहानी है । मैंने तो ऐसी बहुएं देखी है जिसने अपनी सास की बीमारी में तन मन से सेवा करती *इसलिये मेरा मानना है कि बहु ही होती हैं बुढ़ापे की असली लाठी* ।

अतः अपनी बहू में सिर्फ कमिया मत ढूंढे, उसकी अच्छाइयों की कद्र करे ।

कहानी से मिली सीख : बहु के त्याग और सेवा को पहचनिए । बेटे एवं बेटी से पहले बहु को अपना मानिए औऱ “मेरी बेटी मेरा अभिमान” “मेरा बेटा मेरा अभिमान” भी छोड़ो, “बहु मेरा अभिमान बोलो* बेटी साल में 65 दिन सेवा करेगी बहु 300 दिन आपके पास रहेगी ।

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