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आज की कहानी ; सच्चा न्याय

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एक बार एक राजा शिकार खेलने गया  उसका तीर लगने से जंगल वासियों में से किसी का बच्चा मर गया । बच्चे की माँ विधवा थी और यह बच्चा उसका एकमात्र सहारा था । रोती-पीटती विधवा न्यायाधीश के पास पहुंची और उसे फरियाद की ।
जब न्यायाधीश को पता चला कि बालक राजा के तीर से मरा है, तो उनकी समझ में नहीं आया कि वह इंसान कैसे करें, अगर उसने विधवा के हक में फैसला दिया तो राजा को सजा सुनाई होगी यदि विधवा के साथ अन्याय किया, तो ईश्वर को क्या जवाब देगा।
काफी सोच विचार कर वह फरियाद सुनने को राजी हुआ । उसने विधवा को दूसरे दिन अदालत में बुलवाया।विधवा की फरियाद सुनने के पश्चात राजा को भी अदालत में बनवाना आवश्यक था,  वह राजा के पास यह सूचना किसी दूत से भेज सकता था उसने अपने एक सहायक को राजा के पास भेजा कि वह अदालत में हाजिर हो।

सहायक किसी प्रकार हिम्मत करके न्यायाधीश का संदेश राजा को मनाने पहुंचा । वह हाथ जोड़कर राजा के समक्ष उपस्थित हुआ था न्यायाधीश का संदेश सुनाया।

राजा ने कहा कि वह दूसरे दिन अदालत में अवश्य हाजिर होगा।

दूसरे दिन सुबह राजा न्यायाधीश की अदालत में हाजिर हुआ वह जाते समय कुछ सोचकर अपने वस्त्रों के नीचे तलवार छिपाकर ले गया।

न्यायाधीश की अदालत भीड़ से खचाखच भरी हुयी थी । इस फैसले को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग आये थे । राजा अदालत में आया तो प्रत्येक व्यक्ति उसके सम्मान में खड़ा हो गया।

लेकिन न्यायाधीश अपने स्थान पर बैठा रहा वह खड़ा नहीं हुआ । उसने विधवा को आवाज लगायी तो वह अंदर आयी । न्यायाधीश ने उसे फरियाद करने को कहा।

विधवा ने सबके सामने अपने बेटे के मरने की कहानी कह सुनाई ।

अब न्यायाधीश ने राजा से कहा – “ महाराज! इस विधवा का बेटा आपके तीर से मारा गया है आप पर उसको मारने का आरोप है । इस विधवा की यह हानि किसी भी स्थिति में पूरी नहीं हो सकती । मैं आदेश देता हूं कि किसी भी हालत में इसका नुकसान पूरा करें।

राजा ने उस विधवा से क्षमा मांगी और कहा – “ मैं तुम्हारे इस नुकसान को पूरा नहीं कर सकता; किंतु इसकी भरपाई के लिए मैं पुत्र के रूप में तुम्हारी सेवा करने का वचन देता हूं ।
तथा पूरी उम्र तुम्हारे परिवार का सारा खर्च उठाने की जिम्मेदारी लेता हूँ जिससे तुम्हारी जिंदगी सुख-चैन से कट सके।”

विधवा राजी हो गयी ।  न्यायाधीश अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ तथा उसने अपनी जगह राजा के लिए खाली कर दी।

राजा बोला – “ न्यायाधीश जी! अगर आप ने फैसला करने में मेरा पक्ष लिया होता तो मैं तलवार से आपकी गर्दन काट देता कहकर उसने अपने वस्त्रों में छिपी तलवार बाहर निकालकर सब को दिखाई।”

न्यायाधीश सिर झुकाकर बोला – “ महाराज! अगर आप ने मेरा आदेश मानने में जरा भी टाल-मटोल की होती तो मैं हंटर से आप की खाल उधड़वा देता।”

इतना कहकर उसने भी अपने वस्त्रों के अंदर से एक चमड़े का हंटर निकालकर सामने रख दिया।

राजा न्यायाधीश की बात से बड़ा प्रसन्न हुआ और उसने उसे अपनी बाहों में भर लिया।

दोस्तो कहानी के माध्यम से राजा और न्यायाधीश का चरित्र कितना निष्पक्ष दिखाया गया है। समय आज का हो या कल का या फिर कल का था … मनुष्य का चरित्र हमेशा सीधा व सरल ही होना चाहिए …
लेकिन आज के दौर में लोगों को हर काम में अपना स्वार्थ , फायदा निकालना होता है … ज्यादातर इंसान सिर्फ अपने मतलब के लिए काम करता है और उसके लिए वह कई प्रकार के हथकंडे अपनाता है जिसमें से चला कि, स्वार्थ, धोखेबाजी आदि आते हैं। वस्तुतः न्याय को भी अपने पक्ष में करवा लेता है।
हमेशा एक बात ध्यान में रखकर चलना चाहिये कि कितना भी अपने को बचा ले लेकिन ईश्वर के न्यायालय में कोई नहीं बच सकता।

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