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आज की कहानी-खुद पर भरोसा

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एक व्यवसायी विमान के प्रस्थान होने के कुछ समय पहले ही विमान में सवार हुआ। वह किसी व्यावसायिक कार्य के लिए यात्रा कर रहा था। अपनी सीट पर पहुँचकर, उसने अपने आसपास बैठे सह यात्रियों को मुस्करा कर अभिवादन किया। एक अधेड़ उम्र की महिला खिड़की पर बैठी थी और एक छोटी लड़की गलियारे की सीट पर बैठी थी। अपना बैग ऊपर रख कर, उसने उन दोनों के बीच अपना स्थान ले लिया।
 
फ्लाइट के उड़ान भरने के बाद, उसने छोटी लड़की के साथ बातचीत शुरू की। वह लगभग उसकी बेटी की उम्र के समान प्रतीत हो रही थी और अपनी चित्रकला व रंग भरने की पुस्तक में व्यस्त थी। उसने उससे कुछ सामान्य प्रश्न पूछे, जैसे उसकी उम्र (आठ), उसके शौक (कार्टून और ड्राइंग), साथ ही उसका पसंदीदा जानवर (घोड़े सुंदर हैं, लेकिन वह बच्ची सिर्फ बिल्लियों से प्यार करती थी)।
 
उसे यह अजीब लगा कि इतनी छोटी बच्ची अकेले यात्रा कर रही है, लेकिन उसने किसी को भी यह जाहिर नहीं होने दिया। वह बार-बार ये सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा था कि उस बच्ची को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो।उड़ान के लगभग एक घंटे बाद, विमान अचानक बहुत ही तेजी से हिलने लगा। पायलट ने जन सूचना प्रणाली के द्वारा सभी से कहा कि, “वे अपनी सीट बेल्ट बाँध लें और शांत रहें, क्योंकि विमान खराब मौसम से गुज़र रहा था।”
 
अगले आधे घंटे तक विमान कई बार बहुत तेजी से हिला और कई बार ऊपर-नीचे भी हुआ। इस तरह का अनुभव करके कुछ यात्री रो रहे थे, तो कुछ यात्री मन ही मन प्रार्थना कर रहे थे।चारो तरफ हड़बड़ाहट मची थी। वह व्यवसायी भी पसीना-पसीना हो गया था और अपनी सीट को जितना हो सके कस कर पकड़े हुए था और विमान के हर झटके के साथ ‘हे प्रभु!’ चिल्ला रहा था।
 
इस बीच, छोटी बच्ची चुपचाप उसके बगल में अपनी सीट पर बैठी थी। उसने अपनी कलरिंग बुक और क्रेयॉन को उसके सामने की सीट की जेब में बड़े करीने से रख दिया था और उसके हाथ शांति से उसके पैरों पर टिके हुए थे। अविश्वसनीय रूप से, वह बिल्कुल भी चिंतित नहीं लग रही थी। कुछ समय इस तरह का अनुभव करने के बाद अब विमान पूरी तरह से शांत हो गया था। पायलट ने कुछ मिनटों के बाद ऊबड़-खाबड़ सवारी के लिए माफी माँगते हुए घोषणा की कि वे जल्द ही उतरेंगे।
 
जैसे ही विमान ने नीचे उतरना शुरू किया, उस आदमी ने छोटी लड़की से पूछा, “तुम एक छोटी बच्ची हो, लेकिन मैं अपने अभी तक के पूरे जीवन में तुम्हारी जैसी बहादुर बच्ची से नहीं मिला। जब सब यात्री परेशान थे, तुम बहुत शांत मन से बैठी थी। मुझे अभी तक ये समझ नहीं आ रहा कि इतनी छोटी होने के बाद भी इतनी शांत कैसे थी? जबकि विमान में इतनी हलचल के दौरान हम सभी वयस्क इतने डरे हुए थे। तुम्हें बिल्कुल डर नहीं लग रहा था?”
 
उस बच्ची ने उस आदमी की आँखों में देखा, चेहरे पर मुस्कान के साथ उत्तर दिया, “नहीं, क्योंकि मेरे पिता पायलट हैं, इस विमान के संचालक वही हैं और वह मुझे घर ले जा रहे हैं! उस बच्ची के जवाब, उसकी आँखों में अपने पिता के लिए विश्वास और उसके शब्दों में आत्मविश्वास को देख कर व्यवसायी हैरान रह गया! उसे भीतर से एक आवाज़ आई, “क्या मुझे खुद पर और अपने खुदा/ईश्वर पर इतना भरोसा है, जिसने मुझे जन्म दिया?
 
सीख – स्वयं में विश्वास रखें। सच्चा विश्वास वास्तव में एक अकथनीय गुण है। यह निडर साहस है, जो हमें सफलता की ओर ले जाता है। यह सर्वव्यापी शक्ति है, जो हमारे मार्ग को सुगम बनाती है।

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