लखनऊ का रहने वाला निखिल एक मॉडर्न लड़का है और एक कॉल सेंटर में नौकरी करता है।। हजरतगंज से ट्रांसपोर्ट नगर तक के हर रोज मेट्रो सफर करने में निखिल की दोस्ती सबीना से हो जाती है।। सबीना भी मॉडर्न लड़की है और लखनऊ के फिनिक्स मॉल में नौकरी करती है।। निखिल को लगता था की सबीना उसकी पत्नी बनने के लिए एक परफेक्ट लड़की है।
एक दिन निखिल ने अपने मन की बात सबीना से कह दी कि वह उससे शादी करना चाहता है।। मॉडर्न लड़की होना कोई बुरी बात नहीं है परंतु सबीना समझदार लड़की भी थी।। देखो निखिल, हम दोनों अच्छे दोस्त हैं और मैं तुमसे केवल दोस्ती ही रखना चाहती हूं।। हमारा धर्म हमारा रहन सहन बहुत अलग है।। हम जिंदगी भर इन उलझनों को ही सुलझाते रहेंगे, जिंदगी का मजा नहीं ले पाएंगे, इसलिए मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती।
सबीना की ना सुनकर थोड़ा तमतमाता हुआ निखिल घर आता है।। मां, आप कह रही थी एक रिश्ता आया है, आप बात करो मैं शादी के लिए तैयार हूं।। देखा दिखाई के बाद छोटे शहर पीलीभीत की लड़की पंखुड़ी से निखिल की शादी हो जाती है।। पंखुड़ी एक संस्कारी लड़की है पर वह मॉडर्न नहीं थी।। पंखुड़ी को पार्टियों में ले जाने में निखिल को शर्म आने लगी थी।। पंखुड़ी को आज की पार्टियों के रीति रिवाज नहीं मालूम थे।। निखिल के दोस्त और उनकी मॉडर्न पत्नियां निखिल और पंखुड़ी पर हंसते थे।। उनकी हंसी के कारण निखिल बहुत शर्म महसूस करता था।
सबीना और निखिल हजरतगंज से मेट्रो पकड़ते हैं और दोनों को बैठने की जगह भी मिल जाती है।। सबीना मैं पंखुड़ी के साथ जिंदगी नहीं काट पाऊंगा।। मैं उसे छोड़ दूंगा।। उसके छोटे शहर के जीने के स्टाइल पर मुझे बहुत शर्म आती है।। निखिल वक्त दो उसे।। उसके साथ घूमो फिरो।। म्यूचुअल फंड और रिश्ते वक्त देने पर ही फायदा देते हैं।।
निखिल अब नौकरी भी नहीं करना चाहता था।। वह अपना साइबर कैफे खोलना चाहता था।। जगह के लिए उसने किसी को 5 लाख रुपए भी दे दिए थे।। 3 लाख और देने थे पर निखिल इंतजाम नहीं कर पा रहा था।। इसकी भी टेंशन उसे रहती थी।। बातों बातों में पंखुड़ी को निखिल की टेंशन का पता चल गया था, पर वह चुप रही।।
सबीना ने कहा था वक्त दो, इसलिए आज निखिल पंखुड़ी को सहारा मॉल में पिक्चर दिखाने ले गया।। PVR के एंट्री प्वाइंट पर चेकिंग हुई!! मैडम क्या पहली बार पिक्चर देखने आई हो!! पिक्चर हॉल में कुछ भी खाने की चीजें लेकर जाना अलाउड नहीं है!! लेडी गार्ड की बातें सुनकर लाइन में खड़ी दूसरी लड़कियां हंसने लगी!! पंखुड़ी इंटरवल में खाने के लिए चने बनाकर साथ ले आई थी!! जेंट्स लाइन में खड़ा निखिल बहुत शर्म महसूस कर रहा था!!
सबीना आज मैं पंखुड़ी के लिए एक चिट्ठी छोड़ आया हूं कि मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकता!! निखिल यह तुमने बहुत गलत काम करा!! चिट्ठी पढ़कर उसने कुछ कर लिया तो!! यदि कुछ कहना था तो सामने कहते!! देखा जाएगा!! शाम को निखिल घर आता है!! चिट्ठी पढ़ी तुमने, क्या सोचा है?? सोचना क्या है आपने फैसला ले लिया है!! फैसले के बाद सोचने की गुंजाइश नहीं रहती!! जब मेरे पिताजी की मृत्यु हुई थी और उन्होंने मुझे मामा जी को सुपुर्द किया था तो उन्होंने एक बात कही थी बेटा किसी पर बोझ मत बनना।। इसलिए मैं आप पर भी बोझ नहीं बनूंगी।।
मैं मामा जी पर भी बोझ नहीं थी।। कढ़ाई बुनाई करके अपना खर्चा करती थी और पैसे भी बचाती थी।। धूमधाम से शादी इसलिए नहीं करी थी कि जमा पूंजी को उड़ाना सही नहीं है, पूंजी कभी दुख में काम आएगी!! मेरे पास 3 लाख रुपए हैं, आप सेठ को देकर कैफे वाली जगह ले लीजिए नहीं तो आपके 5 लाख भी मर जाएंगे और साथ में आपका सपना भी मर जाएगा।। यह मत समझना मैं रिश्ता बचाने की कीमत दे रही हूं।। मामा जी की तबीयत खराब है।। 10-15 दिन में ठीक होते ही वह मुझे लेने आ जाएंगे और हां मेरे 3 लाख मुझे धीरे धीरे वापस कर देना।।
रात भर निखिल के दिमाग पर बिजलियां कोधंती रही।। सुबह मेट्रो में निखिल ने सारी बात सबीना को बताई।। लकी हो निखिल जो ऐसी पत्नी मिली।। छोटी-छोटी बात पर शर्म करना छोड़ दो।। उस छोटी-छोटी बात को अपनाओ, वह अज्ञानता नहीं है अपना अपना जीने का स्टाइल है।। निखिल को बात समझ आ रही थी।।
अगले दिन संडे था।। पंखुड़ी आज पिक्चर देखने चलेंगे।। चने जरूर बना लेना।। पर वह गार्ड चने अंदर नहीं लेकर जाने देगी।। बस तुम चने बना लेना बाकी मैं देख लूंगा।। निखिल ने मोटरसाइकिल निकाली और पंखुड़ी दोनों पैर एक तरफ करके बैठ गई।। पंखुड़ी आज ऐसे नहीं, पैर क्रॉस करके बैठो, एक पैर इधर और एक पैर उधर और कस के मुझे पकड़ लो।। मोटरसाइकिल भागी जा रही थी सहारा मॉल की ओर।।
अरे मैडम खाने की चीजें अंदर लेकर जाना अलाउड नहीं है।। मालूम है यह डिब्बा आप अपने पास रख ले, पिक्चर खत्म होने के बाद मैं तुमसे ले लूंगी।। आज लोगों की हंसी निखिल को सुनाई नहीं दे रही थी।। पिक्चर खत्म हुई दोनों फूड कोर्ट में आए।। निखिल एक पिज़्ज़ा ले आया।। निखिल ने डिब्बा खोल कर चने पिज़्ज़ा पर उड़ेल लिए।। अरे अरे यह क्या कर रहे हो, लोग देख रहे हैं, कुछ हंस भी रहे हैं, आपको शर्म महसूस होगी।।
” शर्म किस बात की ” पंखुड़ी।। यह हमारा जीने और खाने का स्टाइल है जिस को अच्छा लगे तो ठीक जिसको बुरा लगे तो ठीक।।
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