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“सर्वव्यापी हिंदी: एक कविता”

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आज के समय में, भारत सरकार को हिंदी भाषा के अधिकतम प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है। देश के सभी सरकारी कामकाज हिंदी में होने चाहिए ताकि भाषा को प्रोत्साहन मिल सके और राष्ट्रभाषा के रूप में इसका सम्मान बढ़े। हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह हमारे दिलों और जनमानस को जोड़ने वाली भाषा भी है।

हिंद देश की भाषा हिंदी, हिंदी का सत्कार करें।
कामकाज में नित शामिल कर, दिल से हम स्वीकार करें।

हिंदी भाषा को जीवन के हर क्षेत्र में शामिल करना समय की मांग है। यह भाषा जन मन के तारों को छूती है और पूरे भारत को एकता के सूत्र में बांधती है। हमारी अभिलाषा है कि हिंदी दिन-ब-दिन सकल जगत में फैले, और इसके प्रचार में कोई रुकावट न हो।

रोक-टोक के बिना बढ़े यह, कोई भी प्रतिकार न हो।
सहनशीलता बनी रहे नित, अब अनुचित व्यवहार न हो।

देशवासियों के दिलों में कोई संशय न हो और हम सब मिलकर हिंदी के प्रचार के लिए यत्न करें। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।

बने राष्ट्र भाषा अब हिंदी, यत्न सभी को करना है।
हिंदुस्तानी भाषाओं की, हिंदी प्यारी बहना है।

सभी देशवासी खुशी-खुशी हिंदी को अपनाएं और इसके उत्थान के लिए सामूहिक निर्णय लें। हिंदी का वैश्विक प्रचार भी उतना ही जरूरी है, जितना कि इसे देश में सम्मान दिलाना। प्रवासी भारतीय जहां भी जाते हैं, वे हिंदी को भी साथ ले जाते हैं।

बाधाएँ सब आज हटा कर, शून्य सभी प्रतिकार करें।
हिंद देश की भाषा हिंदी, हिंदी का सत्कार करें।

हमें हिंदी से प्रेम करना चाहिए और इसका सत्कार करना चाहिए। हिंदी हमारी जान है और इसे हर जगह सम्मान दिलाना हमारा कर्तव्य है।

हिंद देश की भाषा हिंदी, हिंदी का सत्कार करें।

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