*महे चन त्वामद्रिव: परा शुल्काय देयाम्।*
*(ऋग्.८.१.५)*
हे सर्वैश्वर्यशाली प्रभो! मैं किसी भी सांसारिक ऐश्वर्य व सम्पत्ति के प्रलोभन के लिए आपके द्वारा प्रस्थापित नियम एवम् नैतिकता का त्याग न करुं।
O glorious Lord ! I should not sacrifice the rules and ethics established by you for the temptation of any worldly opulence and wealth.