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भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती है भाई को राखी? आखिर क्या है पौराणिक मान्यता

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नई दिल्ली (नेशनल थॉट्स) : हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।  रक्षाबंधन का त्यौहार बहन और भाई के आपसी प्रेम और स्नेह का त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं। लेकिन रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने से पहले भद्रा काल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। तो चलिए जानते हैं रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल में भाई की कलाई पर राखी क्यों नहीं बांधनी चाहिए…
 
 
भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। कहा जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। ऐसे में इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है।
 
एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। न्याय के देवता शनिदेव की तरह भद्रा भी उग्र स्वभाव की हैं। कहा जाता है कि भद्रा को ब्रह्मा जी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा, उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी। भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में मनाना चहिए।
 
रक्षाबंधन शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 रात 09:01 से 31 अगस्त सुबह 07:05 तक रहेगा।  लेकिन 31 अगस्त को सावन पूर्णिमा सुबह 07: 05 मिनट तक है, इस समय भद्रा काल नहीं है. इस वजह से 31 अगस्त को बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती है।  इस तरह साल 2023 में 30 और 31 अगस्त दोनों दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा।

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