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आज की कहानी – डॉ. राजेन्द्र प्रसाद

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यह उन दिनों की बात है जब स्कूल के मुख्याध्यापक परीक्षा फल सुनाने के लिए खड़े हुए। उन्होंने सभी विद्यार्थियों के नाम बोले लेकिन एक विद्यार्थी अचानक खड़ा होकर बोला कि श्रीमान मेरा नाम तो नहीं बोला गया। इस पर अध्यापक बोले तुम जरूर फेल होगें। तभी तुम्हारा नाम लिस्ट में नहीं है। 
 
असल में, परीक्षा से पूर्व वह बालक मलेरिया से पीड़ित था। लेकिन वह अपनी बात पर अड़ा रहा कि मेरा नाम तो इसमें होना ही चाहिए। अब अध्यापक को भी गुस्सा आ गया। उन्होंने उसे बोला, तुम जितनी बार बोलोगे, उतना ही तुम्हें जुर्माना देना पड़ेगा।  लेकिन वह बच्चा बोलता ही रहा कि इसमें मेरा नाम तो होना चाहिए। 
 

जुर्माने की राशि 5 रू0 से 50 रू0 तक पहुंच गई । बात जब बढ़ रही थी तभी  लिपिक दौड़ता हुआ आया और उसने मुख्याध्यापक को बताया कि उससे गलती हुई है। असल में, यह बालक कक्षा में प्रथम स्थान पर है और पता है यह बालक थे राजेन्द्र प्रसाद जोकि स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति बने।

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