ईश्वर चंद्र विद्यासागर बेहद ही साधारण और मिलनसार व्यक्ति थे। वह समाज सेवा और गरीबों की भलाई में अपने जीवन की सार्थकता देखते थे , इसलिए कोलकाता के लोग आज भी ईश्वर चंद्र विद्यासागर को अपना आदर्श मानकर पूजते हैं।
एक समय की बात है एक वृद्ध महिला कोलकाता के भीड़ भरी सड़क पर कुछ बड़बड़ाते हुए जा रही थी। ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने उस महिला को देखा और कुछ सोचते हुए उन्होंने उस महिला को रोका और उसकी व्यथा का कारण जानना चाहा। वृद्ध महिला पहले ईश्वर चंद को अपना दुख सुनाने के लिए मना करती है , किंतु ईश्वर चंद उन्हें भरोसा देते हैं। हो सकता है मैं आपके किसी काम आ जाऊं इसलिए मुझे अपना बेटा समझकर मुझे अपनी पीड़ा और कष्ट का कारण बताइए , महिला ने आश्वासन भरे स्वर को सुना और अपनी पूरी व्यथा ईश्वर चंद्र विद्यासागर को सुनाई।
महिला ने बताया कि उसका पति कुछ समय पहले इलाज के दौरान मर गया। जिसमें उसके घर की सारी जमा पूंजी निकल गई , लोगों से कर्ज भी लेना पड़ा और अब बेटी की शादी करवानी है। उसके लिए एक साहूकार से पैसा लिया किंतु समय पर न चुका पाने के कारण उसने कोर्ट कचहरी कर दी है , जिसके कारण अब मैं काफी परेशान हूं , मुझे समझ नहीं आ रहा है कि इतने पैसों का प्रबंध कहां से करूं ?
ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने धैर्यपूर्वक महिला की सभी बातों को सुना उसके पीड़ा के कारण को जाना और आश्वासन दिया – कि वह निश्चिंत रहें कुछ ना कुछ हल अवश्य निकलेगा। ईश्वर सभी की मदद करता है इसलिए वह तुम्हें निराश नहीं करेगा , उन्होंने महिला के केस ( मुकदमे ) की सारी जानकारी ले ली। महिला मुकदमे वाले दिन कचहरी के बाहर बैठे अपने नाम पुकारे जाने का इंतजार कर रही थी , उसके पास पैसे नहीं थे कि वह वकील का प्रबंध भी कर सके ।
इसलिए वहा मायूस और भारी हृदय से कचहरी के बाहर दीवार से पीठ लगाकर बैठी हुई थी। काफी समय बीत जाने पर जब उसका नाम नहीं बुलाया गया तो वृद्ध महिला ने नाम पुकारने वाले कर्मचारी से अपना नाम ना पुकारे जाने की जानकारी ली। इस पर उस कर्मचारी ने खोजबीन कर जानकारी दी कि उसका मुकदमा खारिज हो गया है। किसी व्यक्ति ने उसका सारा कर्ज अदालत में जमा करवा दिया है जिसके कारण अब मुकदमा खारिज कर दिया गया है।
महिला के खुशी का कोई ठिकाना नहीं था आज जैसे उसने जीवन में कोई दिव्य खुशी प्राप्त कर ली थी। आज उसे एक अपार खुशी का आभास हो रहा था , किंतु यह धन किसने अदालत में जमा कराया , यह सोच विचार करने लगी कुछ दिन बाद उस महिला को पता चला कि यह धन उसी व्यक्ति ने जमा कराया है जिसने बाजार में उसका हालचाल लिया था।